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फा+गुन का मौसम

 

फा=फाल्गुन खेलते

गुन=गुनगुनाने का मौसम

-लक्ष्मण लडीवाला                   

 

ऋतुओं में ऋतू राज बसंत,

बसंत में फाल्गुन मास-

माह में भी होली ख़ास,  

गाँव गाँव खिलते, महकते 

चहुँ ओर खेतो में-

पीली पीली सरसों, 

कही पलाश के फूल,

तो कही अशोक,

उल्लास से भर जाता-

अल्हड तन मन;

फाल्गुन में ही 

होली की मस्ती 

एक ही कश्ती में- 

हमजोली घुमे बस्ती बस्ती 

संगीत सुनाती हवाएं 

आल्हाद झूमता ये मन | 

 

होली में प्रेम का रंग 

चढ़ाया जैसे- 

राधा ने कृष्ण के संग,

समाहित है इसमें- 

समर्पण और यौवन के-

आत्मदान का भाव,

अभिमान छोड़कर 

सर्वस्व अर्पण |

मस्ती में झूमते-

लय.ताल यति-गति और मति से-

समाहित हो-

एक हो जाने का भाव,

नहीं रहता जीवन में-

फिर कोई आभाव |

 

बसंत ऋतू के फागुन मास में,

त्यौहार-होली,संस्कृति की झोली में

यह समय है फलने फूलने का,

प्रेम में, अनुराग में और प्यार में 

नृत्य करने का |

यह समय है -

हँसी ठिठोली का

नव सृजन का,

भौरों के गुनगुन का, 

हवाओं का हो जाने का,

फूलों की महक,और-

प्रकृति में खो जाने का | 

मतलब-

प्रकृति के रूप रंग,और-

मौज मस्ती में डूब जाने का |

 

रस राज श्री कृष्ण के तरह,

एक दूजे में समाहित होते 

राधा और श्री कृष्ण के-

प्यार की तरह,

भक्ति भाव में डूबी-

गोपियों की तरह

प्रेम में पागल-

मीरा की तरह |

 

यह समय है-

सहज भाव से अपनत्व का,

मन के मैलेपन को धोने का,

उदासी और नीरसता से परे  हो,

जीवन को बदरंग, और- 

बेसुरा कर रहे-

राग द्वेष को छोड़,

फाल्गुन के बहारों में,

झूमते मौसम की फुहारों में -

हर्षोल्लास भर -

आनंद लेने का | 

 

यही अर्थ और आशय है 

फा+गुन अर्थात 

अपनेपन के भाव से 

फाग खेलते,

गुनगुनाने का मौसम 

फाल्गुन मास है जो-

जीवन में बहुत ही ख़ास है |

 

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

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Comment

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Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 22, 2013 at 7:41pm

आदरणीय लक्ष्मण प्रसाद लड़ीवाला जी, बहुत ही सुन्दर फागुन मौसम का चित्रण हुआ है। ...हार्दिक बधाई स्वीकारें, सादर।

Comment by ram shiromani pathak on March 22, 2013 at 2:25pm

आदरणीय लक्षमण जी बहोत ही बढ़िया चित्रण किया है अपने फागुन का ....हार्दिक बधाई ..सादर 

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