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चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा ....

चलो अच्छा हुआ ये भ्रम भी टुटा मेरा
वो हमे प्यार करते थे ये झूठ निकला

चलो अच्छा हुआ धोखा जो खा ही लिया
प्यार एतबार से होता है ये भी झूठ निकला 

चलो अच्छा हुआ जो गम ही मेरे दामन में आया 
कोशिश हमेशा कामयाब होती है ये भी झूठ निकला

चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया 
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला 

चलो अच्छा हुआ जो हमसे हाल-ए-दिल वो पूछ बैठा
अपने सब समझते हैं ये भी झूठ निकला 

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Comment

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Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:44am

आदरणीय ब्रजेश कुमार जी आपका बहुत बहुत आभार व धन्यवाद।।

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:43am

आदरणीय वंदना तिवारी जी सादर नमस्कार
आपने रचना के भावो को समझा और अपना अनमोल समय दिया इसके लिए दिल से आभार व धन्यवाद

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:42am

आदरणीय सतवीर जी रचना को पसंद करने के लिए आभार व धन्यवाद

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:41am

आदरणीय योगी सर नमस्कार
रचना को पसंद करने व अपनी कीमती समय देने शुक्रिया ...

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:39am

आदरणीय राम सिरोमनि पाठक जी नमस्कार
समय देने के लिए आभार व धन्यवाद ...

Comment by Sonam Saini on March 15, 2013 at 9:39am

आदरणीय विजय सर जी नमस्कार
कविता को समय देने के लिए धन्यवाद .....

Comment by Sonam Saini on March 14, 2013 at 4:59pm

आदरणीय प्राची मैम सादर नमस्कार,
          आपकी प्रतिक्रिया हमेशा और अच्छा लिखने की प्रेरणा देती है, यूँ ही मार्गदर्शन करती रहियेगा।
    अपना कीमती समय देने के लिए बहुत बहुत धन्यवाद मैम .....

Comment by बृजेश नीरज on March 13, 2013 at 9:50pm

चलो अच्छा हुआ जो मैं अकेला हो गया 
दोस्त हर पल साथ होते हैं ये भी झूठ निकला  

बहुत सुन्दर रचना!

Comment by Vindu Babu on March 13, 2013 at 4:54pm
बड़ी संवेदनापूर्ण पंक्तियां पिरोई हैं आदरेया सोनम सैनी जी!
बहुत निराशा सी झलक रही है परन्तु अच्छी तरह से लयबद्ध किया है आपने।
Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on March 13, 2013 at 4:03pm
"चलो अच्छा हुआ
भ्रम तो टूटा"

अन्तस की पीङा को उजागर करती हुई बहुत सुन्दर रचना आ॰ सोनम सैनी जी।

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