For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गीत : आशियाना ... संजीव 'सलिल'

गीत :

आशियाना ...

संजीव 'सलिल'

*

धरा की शैया सुखद है, 

नील नभ का आशियाना ...

संग लेकिन मनुज तेरे 

कभी भी कुछ भी न जाना ...

*

जोड़ता तू फिर रहा है,

मोह-मद में घिर रहा है।

पुत्र है परब्रम्ह का पर 

वासना में तिर रहा है।

पंक में पंकज सदृश रह-

सीख पगले मुस्कुराना ...

*

उग रहा है सूर्य नित प्रति,

चाँद संध्या खिल रहा है। 

पालता है जो किसी को, 

वह किसी से पल रहा है।

मिले उतना ही लिखा है-

जहाँ जिसका आब-दाना ...

*

लाये क्या?, ले जायेंगे क्या??,

कौन जाता संग किसके?

संग सब आनंद में हों,

दर्द-विपदा देख खिसकें।

भावना भरमा रहीं मन,

कामना कर क्यों ठगाना?...

*

रहे जिसमें ढाई आखर,

खुशनुमा है वही बाखर।

सुने खन-खन-खन सतत जो-

कौन है उससे बड़ा खर?

छोड़ पद-मद की सियासत 

ओढ़ भगवा-पीत बाना ...

*

कब भरी है बोल गागर?,

रीतता क्या कभी सागर??

पाई जैसी त्याग वैसी 

'सलिल' निर्मल श्वास चादर।

हंस उड़ चल बस वही तू 

जहाँ है अंतिम ठिकाना ...

***** 

 

Views: 575

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on February 12, 2013 at 11:14am

कब भरी है बोल गागर?,

रीतता क्या कभी सागर??

पाई जैसी त्याग वैसी 

'सलिल' निर्मल श्वास चादर।

हंस उड़ चल बस वही तू 

जहाँ है अंतिम ठिकाना ...

आदरणीय सलिल जी 

सादर 

चल उड़ जा रे ,,

बधाई 

Comment by sanjiv verma 'salil' on February 12, 2013 at 12:07am

संदीप जी, राम शिरोमणि जी, सौरभ जी, श्याम नारायण जी, राजेश जी, लक्षमण जी

आप की गुण ग्राहकता को सादर नमन.

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 7, 2013 at 8:02pm
धरा की, नील नभ की, सूरज चाँद की, मोह मद की, मुस्कराने की सीख देती,आब-दाना  
दर्द विप्दाकी, भावना और कामना की, सियासत, भगवा और उड़ फिर अंतिम  ठिकाना 
वाह वाह आदरणीय संजीव सलिल जी एक सम्पूर्ण जीवन रचना शेष अब क्या बहाना ।
हार्दिक बधाई दिल से, 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 7, 2013 at 1:10pm

रहे जिसमें ढाई आखर,

खुशनुमा है वही बाखर।

सुन खन-खन सतत जो-

कौन है उससे बड़ा खर?

छोड़ पद-मद की सियासत 

ओढ़ भगवा-पीत बाना ...

बहुत सुंदर भाव हर बंद  अपने में बेजोड़ है बहुत अच्छी लगी ये पंक्तियाँ तो 

Comment by Shyam Narain Verma on February 7, 2013 at 10:20am

सादर बधाइयाँ, आदरणीय..............

Comment by ram shiromani pathak on February 6, 2013 at 8:54pm

लाये क्या?, ले जायेंगे क्या??,

कौन जाता संग किसके?

संग सब आनंद में हों,

दर्द-विपदा देख खिसकें।

भावना भरमा रहीं मन,

कामना कर क्यों ठगाना?...

सादर बधाइयाँ, आदरणीय.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 6, 2013 at 8:40pm

अन्यमनस्कता या गुणातीत भाव. एक नकारात्मक तो दूसरा सर्वग्राही और उद्वेलित करता हुआ. आपके इस गीत का हर बंद निर्मोही हुआ मोहता है.

सादर बधाइयाँ, आदरणीय.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 6, 2013 at 6:44pm

हंस उड़ चल बस वही तू 

जहाँ है अंतिम ठिकाना .
बहुत सुन्दर आचार्य श्री अंतिम पड़ाव अंतिम लक्ष्य
साधुवाद इस रचना हेतु

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। बहुत खूबसूरत गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
18 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

कुंडलिया

पलभर में धनवान हों, लगी हुई यह दौड़ ।युवा मकड़ के जाल में, घुसें समझ कर सौड़ ।घुसें समझ कर सौड़ ,…See More
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   वाह ! प्रदत्त चित्र के माध्यम से आपने बारिश के मौसम में हर एक के लिए उपयोगी छाते पर…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत कुण्डलिया छंदों की सराहना हेतु आपका हार्दिक…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीय चेतन प्रकाश जी सादर, कुण्डलिया छंद पर आपका अच्छा प्रयास हुआ है किन्तु  दोहे वाले…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया छंद रचा…"
Sunday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"   आदरणीय सुरेश कुमार 'कल्याण' जी सादर, प्रदत्त चित्रानुसार सुन्दर कुण्डलिया…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"आती उसकी बात, जिसे है हरदम परखा। वही गर्म कप चाय, अधूरी जिस बिन बरखा// वाह चाय के बिना तो बारिश की…"
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीया "
Sunday
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"बारिश का भय त्याग, साथ प्रियतम के जाओ। वाहन का सुख छोड़, एक छतरी में आओ॥//..बहुत सुन्दर..हार्दिक…"
Sunday
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"चित्र पर आपके सभी छंद बहुत मोहक और चित्रानुरूप हैॅ। हार्दिक बधाई आदरणीय सुरेश कल्याण जी।"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service