For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


क्या कहूं मैं किस तरह तकदीर का मारा हुआ

सर्द रातें थीं मगर बिस्तर का बंटवारा हुआ

कहने को तो साथ हैं वो हर कदम ओ हर घड़ी 
फिर भी उनकी बेरुखी से दिल ये नाकारा हुआ

यूं तो अपने हर तरफ हैं शबनमी दरिया मगर
जब नजर अपनी पडी पानी सभी खारा हुआ

जिनकी उम्मीदों पे सांसें चल रही थीं आज तक
वो न अपने हो सके, अपना जहां सारा हुआ

हंस लो तुम भी दुश्मनों मौका तुम्हारे हाथ है
बाद मुद्दत के कहीं ‘चर्चित’ ये बेचारा हुआ


(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Views: 614

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 25, 2013 at 9:27pm

शुक्रिया प्रियरंजन जी........!!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 22, 2013 at 8:56pm

अरे वाह सौरभ सर जी सादर नमन है आपकी पारखी दृष्टि को, वाकई 'और' में से 'र' को निकालने की आवश्यकता है....आपके इस अमूल्य मार्गदर्शन - प्रोत्साहन एवं आशीर्वाद को मैं हृदय से प्रणाम करता हूं........!!!

Comment by Priya Ranjan on January 22, 2013 at 3:52pm

अच्छा है .


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on January 22, 2013 at 2:24pm

जिनकी उम्मीदों पे सांसें चल रही थीं आज तक
वो न अपने हो सके, अपना जहां सारा हुआ

बहुत-बहुत बधाई, भाई..  .

कहने को तो साथ हैं वो हर कदम और हर घड़ी    .. इस मिसरे में और को सिर्फ़ औ’ रहने देते.

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 22, 2013 at 2:17pm

सकारात्म्क टिप्पणी के लिये दिल से शुक्रगुजार हूं आपका डॉ. प्राची जी........!!!

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 22, 2013 at 2:16pm

राजेश कुमारी जी सादर प्रणाम एवं धन्यवाद !!! 

Comment by VISHAAL CHARCHCHIT on January 22, 2013 at 2:15pm

मुक्त कंठ से सराहना हेतु हृदय से आभारी हूं आपका संजीव सर जी........


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on January 21, 2013 at 6:40pm

पूरी ग़ज़ल बहुत शानदार कही है विशाल जी ,

हार्दिक दाद क़ुबूल करें 

हंस लो तुम भी दुश्मनों मौका तुम्हारे हाथ है
बाद मुद्दत के कहीं ‘चर्चित’ ये बेचारा हुआ.........बहुत खूब, बहुत खूब.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on January 21, 2013 at 5:01pm

हंस लो तुम भी दुश्मनों मौका तुम्हारे हाथ है
बाद मुद्दत के कहीं ‘चर्चित’ ये बेचारा हुआ----अंतिम शेर ने तो सारी  ग़ज़ल की ही  रौनक बढ़ा दी बहुत अच्छी लगी दाद कबूल करें 

Comment by sanjiv verma 'salil' on January 21, 2013 at 4:47pm

वाह... वाह... वाह...
अच्छी गजल हेतु बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अजय गुप्ता 'अजेय commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"ब्रजेश जी, आप जो कह रहें हैं सब ठीक है।    पर मुद्दा "कृष्ण" या…"
yesterday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"क्या ही शानदार ग़ज़ल कही है आदरणीय शुक्ला जी... लाभ एवं हानि का था लक्ष्य उन के प्रेम मेंअस्तु…"
Monday
बृजेश कुमार 'ब्रज' commented on बृजेश कुमार 'ब्रज''s blog post गीत-आह बुरा हो कृष्ण तुम्हारा
"उचित है आदरणीय अजय जी ,अतिरंजित तो लग रहा है हालाँकि असंभव सा नहीं है....मेरा तात्पर्य कि…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Ravi Shukla's blog post तरही ग़ज़ल
"आदरणीय रवि भाईजी, इस प्रस्तुति के मोहपाश में तो हम एक अरसे बँधे थे. हमने अपनी एक यात्रा के दौरान…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"आ. चेतन प्रकाश जी,//आदरणीय 'नूर'साहब,  मेरे अल्प ज्ञान के अनुसार ग़ज़ल का प्रत्येक…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - यहाँ अनबन नहीं है ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, आपकी प्रस्तुति पर आने में मुझे विलम्ब हुआ है. कारण कि, मेरा निवास ही बदल रहा…"
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. लक्ष्मण धामी जी "
Monday
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - सुनाने जैसी कोई दास्ताँ नहीं हूँ मैं
"धन्यवाद आ. अजय गुप्ता जी "
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय अजय अजेय जी,  मेरी चाचीजी के गोलोकवासी हो जाने से मैं अपने पैत्रिक गाँव पर हूँ।…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी,   विश्वासघात के विभिन्न आयामों को आपने शब्द दिये हैं।  आपके…"
Sunday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-180

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 180 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
Sunday
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-175
"विस्तृत मार्गदर्शन और इतना समय लगाकर सभी विषयवस्तु स्पष्ट करने हेतू हार्दिक आभार आदरणीय सौरभ जी।…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service