For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

थर्रा गये  मंदिर ,मस्जिद ,गिरिजा घर   

जब  कर्ण  में पड़ी  मासूम की चीत्कार 

सहम गए दरख़्त के सब फूल पत्ते  

बिलख पड़ी हर वर्ण हर वर्ग  की दीवार 

रिक्त हो गए बहते हुए चक्षु  समंदर 

दिलों में  नफरतों के नाग रहे फुफकार

उतर  आये   दैत्य देवों  की भूमि पर 

और ध्वस्त किये अपने देश के संस्कार  

 दर्द के  अलाव में  जल  रहे हैं जिस्म                  

 नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार                                                                            

 देख  खतरे में नारियों  का अस्तित्व          

 सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार 

*************************************

Views: 752

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 26, 2012 at 12:09pm

वाह प्रिय प्राची आपकी ये द्विपदियाँ दुबारा पढ़ी जितनी भी तारीफ की जाए इनकी वो कम ही होगी ,हर आक्रोशित मन की यही पुकार है हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 26, 2012 at 11:53am

यत्र नार्यस्तु न पूज्यन्ते तत्र भवति सर्वनाशम

सहमत हूँ.

यत्र नार्यस्तु दुर्गत्ये तत्र भवतु विनाशनम....  

ओबीओ महोत्सव अंक २४ में नारी शक्ति पर लिखी गयी कुछ पंक्तियों को यहाँ पुनः लिखने से खुद को रोक नहीं पा रही.

घृष्टतम निकृष्टतम अपमान से हूँ खंडिता /

पुरुष की संकीर्णता से देह दुर्ग में बंधिता //९//

 

पूजिता हूँ मैं युगों से, है यही अवधारणा /

दुर्ग नारी सह रहा पर, क्यों व्यथा-प्रतारणा //१०//

 

श्रवण करती प्रकृति सारी, मेरी इस चीत्कार को /

मेरी पीड़ा ने झंझोरा, प्रकृति के व्यवहार को //११//

 

हृदय क्रंदित रूप की पीड़ा से कम्पित है धरा /

फट उठा ज्वालामुखी, दमिताग्नि से था जो भरा //१२//

 

नयन-अश्रु भाँप देखो, फट उठे बादल कहीं /

चक्रवाती लहरें तूफाँ हैं निगलते तट सभी //१३//

 

टूटते जब ख्वाब मेरे, ग्रह दिशाएँ मोड़ते /

सृजन की धारा पलट, संहार करने दौड़ते //१४//

 *******************************************

यत्र नार्यस्तु न पूज्यन्ते तत्र भवति सर्वनाशम!!!!!!!!


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on December 26, 2012 at 11:36am

प्रिय प्राची जी ये हम सब की  पीड़ा है हमें खुद ही इससे निजात पानी है कहते हैं ना यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता ,अब कहो यत्र नार्यस्तु न पूज्यन्ते तत्र भवति सर्वनाशम ,लगता है वे  दिन अब दूर नहीं ,आपका हार्दिक आभार 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on December 26, 2012 at 11:08am

दर्द है कि थमने का नाम ही नहीं ले रहा, लगता है सम्पूर्ण नारी समुदाय अब एक जुट हो कर ही अपने अस्तित्व को सम्हालेगा.

दर्द के  अलाव में  जल  रहे हैं जिस्म                  

 नाच रही हैवानियत मचा हाहाकार                                                                            

 देख  खतरे में नारियों  का अस्तित्व          

 सर्व नाश भू मंडल पर ले रहा आकार ....संवेदना को प्रखरता से शब्दों में ढाला है आदरणीया राजेश जी, हार्दिक बधाई 

कल ही ऐसे प्रस्तर  ह्रदय माता पिता से सामना हुआ, जिन्होंने बेटी जन्मने पर उसका चेहरा नहीं देखा और माँ ने बच्ची को तीन दिन तक दूध भी नहीं पिलाया.

और एक ऐसी माँ से सामना हुआ जो अपनी दूसरी बेटी जन्मने पर बहुत रोई, और अपनी बच्ची को अपनी जेठानी के दो वर्ष के बेटे से बदल लिया.

कैसी विडम्बना है, कैसा आधुनिक समाज है यह, कैसी प्रगतिशीलता है ...

सिर्फ दर्द है, जिसे बयान करने के लिए शब्द भी कम हैं.

नारी को जन्मने ही नहीं दिया जाता, जन ले ले तो भी क्या....उसकी बेबस चीत्कारों से आज मुल्क शर्मसार है..

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
7 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
13 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"  क्या खोया क्या पाया हमने बीता  वर्ष  सहेजा  हमने ! बस इक चहरा खोया हमने चहरा…"
Dec 14
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"सप्रेम वंदेमातरम, आदरणीय  !"
Dec 14
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

Re'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
Dec 13
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181
"स्वागतम"
Dec 13

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"आदरणीय रवि भाईजी, आपके सचेत करने से एक बात् आवश्य हुई, मैं ’किंकर्तव्यविमूढ़’ शब्द के…"
Dec 12
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-181

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Dec 10

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service