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करवा चौथ -एक सत्य कथा (हास्य व्यंग) लघु कथा

करवा चौथ -एक सत्य कथा (हास्य व्यंग) लघु कथा 

पेशे से इंजिनियर शौकिया होम्योपथी डाक्टर वर्मा जी हम लोग प्रतिदिन रेल से साथ - साथ कार्यालय आते जाते थे.वे  बहुत हंसमुख और जवान दिल इंसान थे. शरीर ऐसा कि फूँक मार  दो तो दूसरे शहर  में जा गिरें. पान के हम दोनों शौकीन थे सो वे भी पान लगवाकर लाते थे और बड़ी प्रसन्नता के साथ हमें भी खिलाते. 
एक दिन वे बोले भाई शर्मा जी आज ये पान आप रख लो. मैं कार्यालय जाकर तुरंत बस से वापस लौट आऊंगा . मैने पूछा भाई क्या बात है जो जल्दी घर वापस जा रहे हैं. खैरियत  तो है.शर्मा जी आपको पता नहीं कि आज करवा चौथ है. घर जाकर सारी तैयारी  करनी है. आपकी भाभी के लिए साडी और कोई छोटा मोटा जेवर  आदि भी तो लेना  है. वर्मा जी आप भी कमाल करते हो. चाँद तो रात में निकलता है. और दो वाली ट्रेन से मैं भी लौटूंगा जब एम्.एस.टी है तो अनावश्यक बस का पैसा क्यों दिया जाए. मुझे भी तो करवा मनाना  है. वर्मा जी को सोच में पड़ते देख मैने धीरे से चुटकी ली, भाई वर्मा जी आपका अपनी पत्नी के प्रति अगाध स्नेह देख मन अति प्रसन्न हुआ पर ये बताओ की साडी, जेवर, मिठाई पर पैसा आप खर्च करोगे पर जब वे चलनी से चाँद  को घूँघट की आड़ से निहारेंगी तो इस बात की क्या गारंटी है की अगले सात जन्म हेतु आपका ही साथ मांग रही हों?
शर्मा जी ठीक है मै आपके साथ दो बजे की ट्रेन से वापस लौटूंगा. 

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 3, 2012 at 3:46pm

आदरणीय बड़े भाई, लक्ष्मण  जी सादर अभिवादन. 

अब गलती नहीं करूँगा.

आभार स्नेह प्रदान करने हेतु. 

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on November 3, 2012 at 3:44pm

आदरणीय गुरुदेव सौरभ जी, 

सादर अभिवादन.

आपका आशीर्वाद और स्नेह जिसे प्राप्त हो, कोयला होने पर भी भी हीरा  दीखता है. 

आभार प्रोत्साहन हेतु. 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on November 2, 2012 at 11:38am

सुन्दर और हास्य की सामयिक लागु कथा के लिए बधाई भाई प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी. पर शर्मा ने खुद के साथ साथ वर्मा जी को भी पत्नी को खुश करने के लिए उपहार लाने से रोककर अच्छा नहीं किया | 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 2, 2012 at 10:58am

//शर्मा जी ठीक है मै आपके साथ दो बजे की ट्रेन से वापस लौटूंगा //

हा हा हा हा .. !

आदरणीय प्रदीपभाईजी, आपकी चुटीली लघु-कथाएँ आपके रचनाकर्म को एक अलग ही प्रभाव दे रही हैं. आपका यह शानदार स्वरूप मुझे चकित तो अवश्य कर रहा है किन्तु मेरे लिये ही नहीं इस मंच के लिये भी अति प्रसन्नतादायी और संतुष्टिकारक है.

इस लघु-कथा के लिये हृदय से साधुवाद और हार्दिक शुभकामनाएँ व बधाइयाँ .. .

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