For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आज सुबह
जब घड़ी की सुइयाँ
हो तैयार
निकल पड़ीं विपरीत दिशाओं को
तभी
हुई दरवाज़े पर दस्तक
बंद आँखों से ही
नींद ने हिलाया मुझे
और ना चाहते हुए भी
आधी सोई आधी जागी आँखों से
दरवाज़ा खोला मैने
फटे होंठों से मुस्कुराते हुए
खड़ी थी ठिठुरती ठंडI

चाय की प्याली की गरमाहट
महसूस करते हुए
दोनों हथेलियों पर
खिड़की से बाहर झाँका मैने
तो आज सूरज ने भी
नहीं लगाई थी
दफ़्तर में हाज़िरी
बादलों की रज़ाई में
मुँह छिपाए
सोया है अब तक शायद
और इसलिए
आज देर से आए
या छुट्टी ही ले ले शायद I
चाँद के कदमों की आहटें भी
जल्द ही हो गई थी बंद
छोड़ आया था शायद
वो कश्मीरी शॉल घर पर ही
और इसलिए
भोर से बहुत पहले ही
उबासी लेते हुए
कम्कपाते पैरों से
लौट गया हो घर को I

ठंड का असर तो
दिखता है सबसे ज़्यादा
इन ग़रीब तारों पर
जो कम्पकपाते हुए
गुजारते हैं सारी रात
महज़ इस लटके हुए
आकाश के तंबू के नीचे I
ना जाने कब आएगी
वो सरकार
ना जाने कौन सी होगी
वो सत्ता मेरे यार
जो देगी इन्हें
एक छत और दीवारें चार
इसी उधेरबुन में
निकल गया काफ़ी वक़्त
आज फिर ठंडी चाय ही गीटकनी पड़ेगी II

Views: 368

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Veerendra Jain on October 25, 2010 at 11:19pm
dhanyawad Ganesh ji...aapka protsahan agli rachana ke liye bahut sahaayta karta hai...
Comment by Veerendra Jain on October 25, 2010 at 11:16pm
bahut bahut aabhar tiwariji...
Comment by Veerendra Jain on October 25, 2010 at 11:15pm
Navin ji बहुत बहुत धन्यवाद...आपको रचना पसंद आई तो मेरा लिखना सार्थक हुआ साथ ही आशा करता हूँ कि आप आयेज भी मेरा मार्गदर्शन करते रहेंगे I
ये ग़रीब तारे शब्द का प्रयोग मैने उन ग़रीब तबके के लोगों के सन्दर्भ मे करने की कोशिश की है...जो खुले आसमान के नीचे सड़क पर रात गुज़ारते हैं I
दरअसल मैं जब भी उन्हे देखता हूँ तो एक टीस सी उठती है मन में, इसलिए मैने वो सरकार वाली पंक्तियाँ कही I
Comment by Veerendra Jain on October 25, 2010 at 11:00pm
dhanyawad Preetamji.... aapne rachanaa padhi aur sarahi....bahut bahut aabhar...

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 25, 2010 at 9:36pm
ठंड का असर तो
दिखता है सबसे ज़्यादा
इन ग़रीब तारों पर
जो कम्पकपाते हुए
गुजारते हैं सारी रात
महज़ इस लटके हुए
आकाश के तंबू के नीचे I
ह्रदय को छू लेने वाली पक्तियां , वाकई बेहतरीन है, बेहतरीन अभिव्यक्ति वीरेंद्र साहब ,
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on October 25, 2010 at 11:32am
खुबसूरत रचना वीरेंद्र साहब...बहुत ही शानदार लिख रहे हैं आप...ऐसेही लिखते रहे....अगली रचना का इंतज़ार रहेगा...

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी उपस्थिति से प्रसन्नता हुई। हार्दिक आभार। विस्तार से दोष…"
3 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहा दसक- गाँठ
"भाई, सुन्दर दोहे रचे आपने ! हाँ, किन्तु कहीं- कहीं व्याकरण की अशुद्धियाँ भी हैं, जैसे: ( 1 ) पहला…"
yesterday
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी "
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post दोहा सप्तक
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे हुए हैं । हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"सादर नमस्कार आदरणीय।  रचनाओं पर आपकी टिप्पणियों की भी प्रतीक्षा है।"
Mar 1
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय उस्मानी जी।नमन।।"
Feb 28
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आपका हार्दिक आभार आदरणीय तेजवीर सिंह जी।नमन।।"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बहुत ही भावपूर्ण रचना। शृद्धा के मेले में अबोध की लीला और वृद्धजन की पीड़ा। मेले में अवसरवादी…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"कुंभ मेला - लघुकथा - “दादाजी, मैं थक गया। अब मेरे से नहीं चला जा रहा। थोड़ी देर कहीं बैठ लो।…"
Feb 28
TEJ VEER SINGH replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी, हार्दिक बधाई । उच्च पद से सेवा निवृत एक वरिष्ठ नागरिक की शेष जिंदगी की…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"बढ़िया शीर्षक सहित बढ़िया रचना विषयांतर्गत। हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह जी।…"
Feb 28
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-119
"रचना पटल पर उपस्थिति और विस्तृत समीक्षात्मक मार्गदर्शक टिप्पणी हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीय तेजवीर…"
Feb 28

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service