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 1.गुरु ज्ञान बाँटते रहे, ले सके वही लेत,
   भभूत समझे तो लगे, वर्ना वह तो रेत |

  
 2.अमल करे तबही बढे, गुरु सबके हीसाथ,
   करम सेही भाग्य बढे, भाग्य उसीके हाथ |

 3. नेता भाषण में  कहें,जाति का नहीं भेद,
   जो फोटू दिखलाय दो, तुरत करेंगे खेद |

4. भेद गरीब अमीर का , नहीं करे करतार,

   करतारही जब न करे,हमको क्यों दरकार |

 5.पुत्र से अगर वंश चले, बेटी भी हकदार,              
 बिन जमींन नहि कुछ उगे, सोंचो तो सरकार |                                                                    
     

 6.बेटा-बेटी सम भले, सम इनके अधिकार
  भेद भाव न फिर करो,बेटी करे गुहार |
 
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला,जयपुर 

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Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 23, 2012 at 11:59am

हार्दिक शुक्रिया आपका आदरणीय भाई श्री राज नवादवि जी, आपकी तो गजले ही लाजवाब होती है, अगर काव्य से अच्छा सन्देश मिलता है, तो लिखना सफल हो जाता है | 

Comment by राज़ नवादवी on September 23, 2012 at 11:35am

1.गुरु ज्ञान बाँटते रहे, ले सके वही लेत,
   भभूत समझे तो लगे, वर्ना वह तो रेत |

बहुत खूब, आखिरकार बात अकीदे पे आती है, गुरु तो देता है, हम कितने एह्तियात, सुपुर्दगी, और हवालगी से उसे लेते और रखते हैं, ये तो हमपे ही मुन्हसिर है. बधाई हो ज्ञान भरे दोहे लिखने पे भाई लक्ष्मण जी! 

Comment by Harvinder Singh Labana on September 22, 2012 at 5:29pm

Umda, Or behad prasangik Dohe.. Sajha karne ke liye Aapka Hardik Aabhar Laxman ji....

Badhai Swikaar karein..


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Comment by rajesh kumari on September 22, 2012 at 5:19pm

बहुत शिक्षाप्रद दोहे बहुत बधाई लक्ष्मण जी 

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