For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"अरे ! ये क्या!! मनु दीदी तुम तो कह रही थी की तुम्हारा बजट केवल पांच सौ रुपयों का ही था!! ये गणपति जी की शानदार मूर्ती तो हजार रुपयों से क्या कम होगी!!" शाम को सुनंदा ने अपनी बड़ी बहन के घर गणेश स्थापना की पूजा के लिये घुसते ही कहा.
'अरे! क्या बताऊँ!! हम मूर्तियाँ खरीदने गए थे तो वहां हमारी काम वाली बाई भी मिल गई. उसने पांच सौ वाली मूर्ति उठा ली तो हमारे पास हजार वाली उठाने के अलावा कोई चारा ही नहीं था...."
गहरी उदासी के साथ मनु बोली......
-------------------------------------------------------------------------------------------------------------
अविनाश बागडे.....नागपुर.

Views: 495

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by MARKAND DAVE. on October 13, 2012 at 8:48am

गहरी उदासी के साथ…!

 

यह लधुकथा वर्तमान समाज का दर्पण है..! वाह क्या लेखन है, बहुत ही बढ़िया ।

Comment by Shubhranshu Pandey on September 23, 2012 at 11:58am

चलो गणनायक तो आ गये.

..गणपति बप्पा मोरया...पुढ्यावर्षी लौकरिया.....

Comment by AVINASH S BAGDE on September 21, 2012 at 8:00pm
 
आभार लक्षमण  प्रसाद जी...
Comment by AVINASH S BAGDE on September 21, 2012 at 7:59pm
भाई लोकेश सिंह जी...शुक्रिया...
 
Comment by AVINASH S BAGDE on September 21, 2012 at 7:58pm
 
शुक्रिया राजेश कुमारी मेम...
Comment by AVINASH S BAGDE on September 21, 2012 at 7:58pm
बहुत-बहुत आभार सौरभ जी..
 

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 20, 2012 at 7:39pm

एक सधी हुई लघुकथा है, आदरणीय अविनाश भाईजी.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on September 20, 2012 at 5:23pm

भगवान् भी मूल्यों में तौले जाने लगे जैसे कम कीमत के भगवान् तो कृपा कम करेंगे दिखावा आस्था पर हावी है जो आपकी लघु कथा अच्छी तरह से समझाने में सफल है बहुत बधाई अविनाश जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 20, 2012 at 10:24am
अमीर लोग निम्न अथवा गरीब के सामने अपना standard (स्तर)
 उंचा दिखाने का या हूँ कहे  गरीब  को नीचा दिखाने का प्रयास करते है 
उसपर गहरा व्यंग करती अच्छी लघु कथा, बधाई आदरणीय अविनाश बागडेजी  
Comment by लोकेश सिंह on September 20, 2012 at 9:54am

"झूठी शान करे हलाकान  " किसी ने ठीक ने  ही कहा है , ईश्वर तो भाव के भूखे है दिखावे के नहीं ,और हम ईस्वर की पूजा प्रार्थना में भी दिखावा करते है ,उनके दरबार में क्या अमीर क्या गरीब सभी बराबर है ,दिखावे पे करार व्यंग छोटी मगर सार्थक ,बहुत बहुत साधुवाद ...लोकेश सिंह

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"रजाई को सौड़ कहाँ, अर्थात, किस क्षेत्र में, बोला जाता है ? "
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"मार्गदर्शन के लिए हार्दिक आभार आदरणीय "
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"बहुत बहुत धन्यवाद आदरणीय  सौड़ का अर्थ मुख्यतः रजाई लिया जाता है श्रीमान "
12 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"हृदयतल से आभार आदरणीय 🙏"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , दिल  से से कही ग़ज़ल को आपने उतनी ही गहराई से समझ कर और अपना कर मेरी मेनहत सफल…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय सौरभ भाई , गज़ाल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका ह्रदय से आभार | दो शेरों का आपको…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"इस प्रस्तुति के अश’आर हमने बार-बार देखे और पढ़े. जो वाकई इस वक्त सोच के करीब लगे उन्हें रख रह…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय गिरिराज भाईजी, बहरे कामिल पर कोई कोशिश कठिन होती है. आपने जो कोशिश की है वह वस्तुतः श्लाघनीय…"
yesterday
Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
Tuesday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
Monday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service