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इस जग में जो सबसे सुन्दर वो मेरी भाषा हिंदी है

हिंदी दिवस की शुभकामनाओं सहित ये रचना प्रस्तुत कर रहा हूँ


ये गंगा सी निर्मल पावन ये स्वर रुपी कालिंदी है
इस जग में जो सबसे सुन्दर वो मेरी भाषा हिंदी है

ये सुन्दर सरल सजीली है,
भाषा ये बहुत सुरीली है
ये नव रस और छंदों से युक्त
मन भावन मधुर पतीली है

ये भारत माँ के माथें में सूरज सी दमके बिंदी है
इस जग में जो सबसे सुन्दर वो मेरी भाषा हिंदी है

ये प्रेम की मीठी भाषा है
भारत की प्राण पिपासा है
ये संस्कार मर्यादा की
जीवंत रूप परिभाषा है

ये ग्रंथों का मेधा प्रवाह, वेदों मन्त्रों की कुंजी है
इस जग में जो सबसे सुन्दर वो मेरी भाषा हिंदी है

हिंदी पर सर्व समर्पण है
नित इसका पूजा अर्चन है
भारत की आत्मा है हिंदी
हिंदी संस्कृति का दर्पण है

इस अंग्रेजी के दौर में पर जाने क्यूँ चिंदी चिंदी है
इस जग में जो सबसे सुन्दर वो मेरी भाषा हिंदी है


संदीप पटेल "दीप"
सादर आभार सहित

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 15, 2012 at 8:18pm

एक रचना पृष्ठ पर एक रचना टिप्पणी कॉलम में, कुछ समझ में नहीं आया, संदीपजी.

वैसे टिप्पणी कॉलम वाली रचना अधिक संयत बन पड़ी है.  बधाई

परन्तु,  हिंदी ही सत्य की भाषा है बाकी तो केवल झांसा है   इस पंक्ति पर मेरी सहमति नहीं है.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 15, 2012 at 2:06pm

आप सभी का ह्रदय की गहराई से धन्यवाद सहित सादर आभार
स्नेह आशीष और सहयोग यूँ ही बनाये रखिये
सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 15, 2012 at 2:06pm

आप सभी का ह्रदय की गहराई से धन्यवाद सहित सादर आभार
स्नेह आशीष और सहयोग यूँ ही बनाये रखिये
सादर


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 14, 2012 at 9:10pm

बहुत ही सुन्दर रचना संदीप पटेल जी, हिंदी दिवस की बधाई स्वीकार करें |

Comment by Rekha Joshi on September 14, 2012 at 5:32pm

हिंदी पर सर्व समर्पण है
नित इसका पूजा अर्चन है
भारत की आत्मा है हिंदी
हिंदी संस्कृति का दर्पण है,अति सुंदर भाव संदीप जी ,हिंदी दिवस पर हार्दिक बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 14, 2012 at 5:17pm

अंग्रेजों के भक्तों सुन्लों हिंदी नहीं तमाशा है 

इस जग में जो सबसे सुन्दर वो मेरी भाषा है 
बहुत खूब बहुत अच्छे भाई संदीप कुमार पटेल जी 
हार्दिक बधाई 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 14, 2012 at 3:16pm

सौन्दर्य की भाषा हिंदी है
ये अलोकिक इक बिंदी है
इसका कलरव है कोयल सा
ये गंगा स्वर कालिंदी है

सरपट प्रवाह ले सहज सरल ये हिन्दुस्तान की भाषा है
अंग्रेजी के भक्तो सुन लो हिंदी ये नहीं तमाशा है

जब ये संतान बड़ी होकर
तुमको ही आँख दिखाएगी
अंग्रेजी में खिटपिट करते
जब इसको लाज न आएगी

तब जाकर तुम ये जानोगे मर्यादा की परिभाषा है
अंग्रेजी के भक्तो सुन लो हिंदी ये नहीं तमाशा है

जब होंगी ज्ञान की बातें तब
हिंदी ये रंग दिखलाएगी
और नयी तुम्हारी अंग्रेजी
बस खड़ी खड़ी पछताएगी

विज्ञान समझने हेतु भी हिंदी ही मात्र इक आशा है
अंग्रेजी के भक्तो सुन लो हिंदी ये नहीं तमाशा है

जब गीत भजन ग़ज़लें सुनकर
मतलब सब गलत निकालेंगे
तब अर्थ अनर्थ हो जाएगा
भजनों में वासना पालेंगे

फिर शान्ति कहाँ ढूंढोगे जाकर जो खुद बड़ी पिपासा है
अंग्रेजी के भक्तो सुन लो हिंदी ये नहीं तमाशा है

दिल से दिल को जो जोड़ेंगे
भावों के स्वर हैं हिंदी में
संस्कार और मर्यादा का
बहता निर्झर है हिंदी में

हिंदी ही सत्य की भाषा है बाकी तो केवल झांसा है
अंग्रेजी के भक्तो सुन लो हिंदी ये नहीं तमाशा है


संदीप पटेल "दीप"

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