For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

पाँच दोहे आँसू भरे

राजनीति के मंच पर, चढ़ गए आज दबंग
फूट फूट कर रो रहे, ध्वज के तीनों रंग

गधा जो देखन मैं चला, गधा न मिलया मोय
तब इक नेता ने कहा, मुझसा गधा न कोय

उजली खादी पहन के, करते काले काम
इनका बंटाधार अब, करदो मेरे राम

अभिव्यक्ति को घोंट कर, करो जेल में बन्द
लोकराज के नाम पर, करते जाओ गन्द

हाय  हमारे मुल्क का, फूटा हुआ नसीब
उसने ही विष दे दिया, समझा जिसे तबीब

-जय हिन्द ! 

Views: 981

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er.vir parkash panchal on September 18, 2012 at 6:52pm

BAHOOT KHOOBSURAT

 

Comment by Albela Khatri on September 13, 2012 at 7:12pm

धन्यवाद भाई कुमार गौरव  जी................
आभारी हूँ

Comment by Albela Khatri on September 13, 2012 at 7:11pm

धन्यवाद लड़ी वाला  जी................
आभारी हूँ

Comment by Albela Khatri on September 13, 2012 at 7:08pm

आभारी हूँ आदरणीय  सौरभ जी.......
आपका मार्गदर्शन  मिलता रहा तो सब ठीक हो जायेगा ...........

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on September 13, 2012 at 1:44pm

वाह वाह ! क्या जबर्दस्त कहन है इन दोहों की !! विशेषकर

राजनीति के मंच पर, चढ़ गए आज दबंग
फूट फूट कर रो रहे, ध्वज के तीनों रंग 

मानों आपके अंदर का रचनाकार हृदय को काढ़ कर कह रहा हो.

प्रस्तुत दोहों के शिल्प पर सभी सुधीजनों ने सम्यक और सटीक बात कही है. सदस्यों की इस प्रासंगिकता पर मन मुग्ध है. आप भी अपने छंदों पर साहित्य मर्मज्ञों की सटीक सलाह पर संतुष्ट होगें, ऐसा पूर्ण विश्वास है, भाईजी. आप तदनुरूप प्रयास करेंगे, इस अपेक्षा के साथ सादर प्रणाम

Comment by Albela Khatri on September 13, 2012 at 11:38am

धन्यवाद योगी जी...........
सादर

Comment by Yogi Saraswat on September 13, 2012 at 11:14am

गधा जो देखन मैं चला, गधा न मिलया मोय
तब इक नेता ने कहा, मुझसा गधा न कोय

उजली खादी पहन के, करते काले काम
इनका बंटाधार अब, करदो मेरे राम

हहहाआआआआआ , मज़ा आया अलबेला साब ! आपकी ही रचना ऐसी हो सकती है मस्त ,बिंदास

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 13, 2012 at 10:51am

भाई श्री अलबेला जी, सुंदर व्यंगात्मक दोहों 

के लिए हार्दिक बधाई | देखे :-
राजनीती के मंच पर, देख काव्य के व्यंग 
नेताओं को लग रहा, एक दिन होंगे बंद //
 
अलबेला अब लिख रहा, व्यंग बड़े ही दबंग 
इनकी कलमे  तोड़कर , करो जेल में बंद //
जय हिंद 
Comment by Er. Ambarish Srivastava on September 13, 2012 at 10:32am

जय हो अलबेला जी ! :-)))

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on September 13, 2012 at 10:25am

वाह-१०००००००००००००००००००...............सभी दोहे जबरदस्त हैं पर वो गधे वाला थोडा खास :)))))

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन अभिवादन व हार्दिक आभार।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीया प्रतिभा पाण्डे जी सादर, प्रस्तुत ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार. सादर "
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी. सादर "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुन्दर गीत हुआ है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
" आदरणीय अशोक जी उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"  कोई  बे-रंग  रह नहीं सकता होता  ऐसा कमाल  होली का...वाह.. इस सुन्दर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली.. हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"बहुत सुन्दर दोहावली..हार्दिक बधाई आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"सुन्दर होली गीत के लिये हार्दिक बधाई आदरणीय "
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आ. भाई अशोक जी, सादर अभिवादन। बहुत अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-161
"आदरणीय भाई लक्षमण धामी जी सादर, उत्तम दोहावली रच दी है आपने. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service