For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

देश की दारुण दशा हमसे सहन होती नहीं

देश की दारुण दशा हमसे सहन होती नहीं
सोन चिड़िया की कथा भी स्मरण होती नहीं

हो रहे पत्थर मनुज सब आँख का पानी सुखा
जल रहे हैं आग में लेकिन जलन होती नहीं

मर चुका ईमान सबका बेदिली है आदमी
फिर रहीं बेजान लाशें जो दफ़न होती नहीं

कौन समझाए वतन की सरपरस्ती का सबब
हर तिरंगी चीज़ वीरों का कफ़न होती नहीं

बाद दंगों के यहाँ पसरा है सन्नाटा बहुत
शोर-गुल से मौन दहशत तो अमन होती नहीं

खार की क्या है हकीकत जानने गुलशन में जा
फूल की इक पंखुड़ी सारा चमन होती नहीं

ढो रहे हैं बोझ वो बस्ती में जाकर है खबर
है सही पर सूरते-बस्ती वतन होती नहीं 

दीप लिखना बह्र में मुश्किल बहुत होगा मगर
वो ग़ज़ल बेकार है जिसमे कहन होती नहीं


संदीप पटेल "दीप"

Views: 475

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 3, 2012 at 11:51am

आदरणीय गणेश सर जी सादर प्रणाम

बहुत सुन्दर मार्ग प्रसस्त किया है आपने लेकिन फिर भी एक संदेह है
बहर- में १ २ और बह्र में भी १२ थोडा असमंजस में हूँ कृपया मार्दर्शन कीजिये सर जी
सादर आभार आपका इस सराहना हेतु


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on September 1, 2012 at 4:11pm

दीप लिखना बह्र (१२) में मुश्किल बहुत होगी मगर
वो ग़ज़ल बेकार है जिसमे कहन होती नहीं

खुबसूरत ग़ज़ल संदीप जी , शानदार अभिव्यक्ति पर बधाई स्वीकार करें |

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 1, 2012 at 9:06am

आदरणीय वीनस जी सादर नमन
आपका इशारा मैं समझ गया
कोशिश हमेशा से यही होती है और आपका स्नेह यदि यूँ ही मिलता रहा
तो इक न इक दिन कुछ बेहतर करके दिखाऊंगा
इस प्रतिक्रिया से ह्रदय प्रसन्न हो उठा
आपका तहे दिल से शुक्रिया और सादर आभार
अनुज पर नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 1, 2012 at 9:04am

आदरणीया रेखा जी सादर प्रणाम
ग़ज़ल आपको पसंद आई और आपकी सराहना मिली
इसके लिए आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार
अपना स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 1, 2012 at 9:02am

आदरणीया राजेश कुमारी जी सादर नमन
आपसे मिली इस सराहना से लेखन को बल मिला है
अपने ये स्नेह अनुज पर यूँ ही बनाये रखिये
आपका बहुत बहुत शुक्रिया और सादर आभार

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 1, 2012 at 9:01am

आदरणीय लक्ष्मण जी सादर
ग़ज़ल को सरहाने हेतु ह्रदय से शुक्रिया और सादर आभार आपका
स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by वीनस केसरी on September 1, 2012 at 2:55am

दीप लिखना बह्र में मुश्किल बहुत होगा मगर
वो ग़ज़ल बेकार है जिसमे कहन होती नहीं

:)))))))

kariye khud se aazmaaish aur ziyada .....

Comment by Rekha Joshi on August 31, 2012 at 9:21pm

उम्दा गजल पर बधाई सदीप जी 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on August 31, 2012 at 7:11pm

सुन्दर ग़ज़ल लिखी है प्रिय संदीप सभी शेर बहुत अच्छे हैं बस पहले शेर में स्मरण सहन के साथ नहीं जम रहा 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 31, 2012 at 2:55pm

देश की दारुण दशा हमसे सहन होती नहीं किसी भी सह्रदय कवि/लेखक से देश की दारुण दशा सहन नहीं हो सकती बही संदीप कुमार पटेल जी, अच्छी भावपूर्ण रचना हेतु बधाई 

 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

आशीष यादव added a discussion to the group भोजपुरी साहित्य
Thumbnail

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला

दियनवा जरा के बुझावल ना जाला पिरितिया बढ़ा के घटावल ना जाला नजरिया मिलावल भइल आज माहुर खटाई भइल आज…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय सौरभ सर, क्या ही खूब दोहे हैं। विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय "
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया प्रस्तुति हुई है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"हार्दिक आभार आदरणीय लक्ष्मण धामी जी।"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा पंचक. . . शृंगार

दोहा पंचक. . . . शृंगारबात हुई कुछ इस तरह,  उनसे मेरी यार ।सिरहाने खामोशियाँ, टूटी सौ- सौ बार…See More
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।प्रदत्त विषय पर सुन्दर प्रस्तुति हुई है। हार्दिक बधाई।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"बीते तो फिर बीत कर, पल छिन हुए अतीत जो है अपने बीच का, वह जायेगा बीत जीवन की गति बावरी, अकसर दिखी…"
Sunday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-180
"वो भी क्या दिन थे,  ओ यारा, ओ भी क्या दिन थे। ख़बर भोर की घड़ियों से भी पहले मुर्गा…"
Sunday
Ravi Shukla commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज जी एक अच्छी गजल आपने पेश की है इसके लिए आपको बहुत-बहुत बधाई आदरणीय मिथिलेश जी ने…"
Sunday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service