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मेरी माँ है सबसे प्यारी 

मोहपाश

दादा-दादी की दुलारी
मेरी माँ है सबसे प्यारी  
है बहुत संस्कारी  
सबके लिए उपकारी   
रूप उसका चमत्कारी    
 जग में सबसे न्यारी  
उनसे दुनिया सारी  
उससे ही यह सिलसिला जारी 
उसकी महिमा सबसे न्यारी 
कभी वह अबला  नारी  
तो कभी सबला नारी,
पर है सब पर ही भारी
सेवा पूजा से उसका नाता 
घर चौके की वह अधिष्ठाता 
ज्यादा वक्त चौके में जाता 
त्यौहांरो की  करती तैयारी
सच में वह माँ कल्याणी 
मेरी माँ है सबसे प्यारी |
               -------
-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला

 

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Comment

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Comment by Ashok Kumar Raktale on August 4, 2012 at 11:31pm

आदरणीय

            सादर प्रणाम,

घर चौके की वह अधिष्ठाता 
ज्यादा वक्त चौके में जाता 
माँ के सम्मान में लिखी सुन्दर रचना. सचमुच माँ होती ही ऐसी है.
 मगर आजकल कि जो स्थिति है उस पर दो पंक्तियाँ लिखना चाहूँगा.
चूल्हे चौके से है मन घबराता,
अक्सर भोजन होटल से आता.
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2012 at 10:21pm

हार्दिक धन्यवाद आदरणीय रेखा जोशी जी  सादर नमन 

Comment by Rekha Joshi on August 3, 2012 at 7:19pm

आदरणीय लक्षमण जी ,सादर नमस्ते 

ज्यादा वक्त चौके में जाता 
त्यौहांरो की  करती तैयारी
सच में वह माँ कल्याणी 
मेरी माँ है सबसे प्यारी |,माँ जैसा इस दुनिया में हो ही नही सकता ,सुंदर रचना पर मेरी बधाई स्वीकार करें 
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on August 3, 2012 at 6:10pm

अरुण शर्मा 'अनंत'जी और वसुधा निगम जी "

मेरी माँ है सबसे प्यारी रचना पसंद करने पर हार्दिक  धन्यवाद 

Comment by अरुन 'अनन्त' on August 3, 2012 at 11:33am

आदरणीय लक्ष्मण जी, माँ होती ही इतनी प्यारी है. बधाई

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