For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

गज़ल - आदमी जो बेतुका है

वो अगर  मुझसे खफा है

हक है उसको क्या बुरा है

 

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है

 

जो अपरिचित  है नदी से

बाढ़   पर  वो  बोलता  है

 

है   यकीं   चारागरी   पर

हो  जहर  तो  भी  दवा है

 

देख  कर  मुँह  फेर लेना

कुछ  पुराना   आशना  है

 

टूट  ही  जाना  है  उसको

सच  दिखाता  आइना  है

 

जी  रहा   तुकबंदियों  को 

आदमी   जो   बेतुका   है

 

 

..................... अरुन श्री !

Views: 828

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 7:54pm

डा. सूर्य बाली सर , आपके द्वारा उदृत शे'र मेरा भी पसंदीदा है ! सराहना हेतु धन्यवाद !

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 7:53pm

राजेश कुमारी मैम , इस शे'र पर पूरे नंबर देने के लिए धन्यवाद ! अब ये भी बता दीजिए कि किस शे'र पर नंबर कटे हैं ! :-)) :-))
आपकी सराहना ने गौरवान्वित किया ! सादर !

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 7:51pm

संदीप जी , गज़ल को मान देने के लिए धन्यवाद ! आप सब की यही हौसला अफजाई कुछ और बेहतर करने का जज्बा भर देती है मन में !


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 19, 2012 at 3:30pm

विश्वास से भरी इस ग़ज़ल के लिये हार्दिक बधाइयाँ.  अरसे बाद आपको सुनना बहुत अच्छा लग रहा है.  बहुत खूब. 

कुछ अश’आर तो एकदम से बाँध लेने वाले हैं.. .    सच कहूँ तो कई बार पढ़ गया आपकी यह ग़ज़ल.

बहुत-बहुत शुभकामनाएँ.

Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on July 19, 2012 at 2:30pm

अरुण भाई नमस्कार ! अच्छी ग़ज़ल कही है

जो अपरिचित  है नदी से, बाढ़   पर  वो  बोलता  है...बहुत उम्दा शेर है।

दाद कुबूल करें !

Comment by Arun Sri on July 19, 2012 at 1:49pm

अरुन अनन्त साहब ! पसंदगी जाहिर करने के लिए शुक्रिया मित्र !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 19, 2012 at 1:16pm

बहुत सुन्दर अरुण जी 

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है

 इन पंक्तियों पर तो पूरे नंबर 

 

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on July 19, 2012 at 12:59pm

वाह अरुण जी वाह! छोटी बह्र में क्या शानदार अश'आर कहे हैं आपने| दिल ख़ुश हो गया! ख़ास तौर पर ये दो शे'र बहुत ही पसंद आये|

घोंसले  के साथ  जुडकर

एक  तिनका  जी  रहा है ----> जीने के लिए एक वजह ही काफ़ी है.. :-)

टूट  ही  जाना  है  उसको

सच  दिखाता  आइना  है ---> कड़वी हक़ीक़त बयां कर दी आपने बहुत ख़ूब...

Comment by अरुन 'अनन्त' on July 19, 2012 at 12:56pm

बेहद सुन्दर रचना अरुण जी , बधाई मित्र.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - गुनाह कर के भी उतरा नहीं ख़ुमार मेरा
"आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, नए अंदाज़ की ख़ूबसूरत ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ।"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपके संकल्प और आपकी सहमति का स्वागत है, आदरणीय रवि भाईजी.  ओबीओ अपने पुराने वरिष्ठ सदस्यों की…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"आपका साहित्यिक नजरिया, आदरणीय नीलेश जी, अत्यंत उदार है. आपके संकल्प का मैं अनुमोदन करता हूँ. मैं…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"जी, आदरणीय अशोक भाईजी अशोभनीय नहीं, ऐसे संवादों के लिए घिनौना शब्द सही होगा. "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . उल्फत
"आदरणीय सुशील सरना जी, इन दोहों के लिए हार्दिक बधाई.  आपने इश्क के दरिया में जोरदार छलांग लगायी…"
3 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Saurabh Pandey's discussion पटल पर सदस्य-विशेष का भाषायी एवं पारस्परिक व्यवहार चिंतनीय
"माननीय मंच एवं आदरणीय टीम प्रबंधन आदाब।  विगत तरही मुशायरा के दूसरे दिन निजी कारणों से यद्यपि…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Sushil Sarna's blog post दोहा षष्ठक. . . . आतंक
"आप पहले दोहे के विषम चरण को दुरुस्त कर लें, आदरणीय सुशील सरना जी.   "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आप वस्तुतः एक बहुत ही साहसी कथाकार हैं, आ० उस्मानी जी. "
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया विभा रानी जी, प्रस्तुति में पंक्चुएशन को और साधा जाना चाहिए था. इस कारण संप्रेषणीयता तनिक…"
3 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"सादर नमस्कार आदरणीय सर जी। हमारा सौभाग्य है कि आप गोष्ठी में उपस्थित हो कर हमें समय दे सके। रचना…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"आदरणीया प्रतिभा जी, प्रस्तुति नम कर गयी. रक्तपिपासु या हैवान या राक्षस कोई अन्य प्रजाति के नहीं…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-121
"घटनाक्रम तनिक खिंचा हुआ प्रतीत तो हो रहा है, लेकिन संवादों का प्रवाह रुचिकर है, आदरणीय शेख शहज़ाद…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service