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जो बेवफा हो गए

आंसूओ को आँखों में खेलने दो 
मुस्कराहट को होठों से रूठने दो
कब तक रोकोगे, कब तक टोकोगे
जो बेवफा हो गए
 उनको बेवफा ही रहने दो//
चाहोगे तो जीने का सहारा मिल ही जायेगा
मांगोगे तो तारों से उजाला मिल ही जायेगा
क्यों लगे किसी को और भी ख्वाहिश है मेरी 
बुत तो नहीं
 पर बुत की तरह रहने दो// 
जो बेवफा हो गए
 उनको बेवफा ही रहने दो//

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on July 15, 2012 at 9:42pm

चाहोगे तो जीने का सहारा मिल ही जायेगा

मांगोगे तो तारों से उजाला मिल ही जायेगा
राज करण जी आशा की तरफ इंगित करती रचना आइये नए सुबह को आने दें और मुस्कुराएँ 
भ्रमर ५ 
Comment by Rekha Joshi on July 14, 2012 at 11:22pm

चाहोगे तो जीने का सहारा मिल ही जायेगा

मांगोगे तो तारों से उजाला मिल ही जायेगा,भावपूर्ण अभिव्यक्ति ,राजकरण जी ,बधाई 
Comment by Albela Khatri on July 14, 2012 at 12:06pm

क्या कहने  राजकिरण जी.......
बहुत उम्दा
मज़ा आया

बुत तो नहीं
 पर बुत की तरह रहने दो//
__बधाई !
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 14, 2012 at 11:23am

सच ही है जो जैसा है उसे वैसा ही रहने दो
खरी बात कही है आपने
बधाई आपको

कम पंक्तियों में बड़ी बात

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