For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

“जिन्दगी का गीत”

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा, 

गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,

हिम्मतों  से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले................

 

हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे, 

उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,

चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............

 

--अम्बरीष श्रीवास्तव

Views: 1069

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 10:48am

स्वागत है संदीप जी. गीत की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद .....बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ रची हैं आपने ....

//जात-पात भूल के अब हिंद का तू लाल बन
बन अडिग हिमालय सा हिंद का तू भाल बन
हाथ से मिला के हाथ शक्ति अपनी जोड़ ले
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले//

जात-पात भूल के जो  हिंद का तू लाल बन
बन अडिग तू पर्वतों सा हिंद का तू भाल बन
हाथ से मिला के हाथ शक्ति अपनी जोड़ ले
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.......

वाह वाह वाह ......क्या कहने बहुत सुंदर सन्देश .......आपको भी बहुत-बहुत बधाई मित्र ...सस्नेह

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 10:39am

स्वागत है आदरणीय अलबेला जी ! आपका हार्दिक आभार मित्र .... आप की सराहना पाकर यह सृजन सार्थक हुआ ......जय ओ बी ओ !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2012 at 10:37am

होंसलों से ही सभी दुविधाओं ,रुकावटों पर विजय प्राप्त होती है प्रगति  के पथ पर बहुत सुन्दर सन्देश देती हुई आगे कदम बढ़ाती  हुई आपकी इस रचना पर बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 13, 2012 at 10:11am

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...हम जैसे युवाओ  के लिए बहुत जोशीला सन्देश देती रचना,

हिम्मते मरदे मददे खुदा - हार्दिक बधाई,अम्बरीष श्रीवास्तवजी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 13, 2012 at 9:31am
आदरणीय अम्बरीश जी,
बुलंद हौसलों के साथ हर चुनौती को जीत लेने की  प्रेरणा देता, जोश से व्याप्त बहुत खूबसूरत गीत लिखने के लिए हार्दिक आभार और बधाई स्वीकार करें. सादर. 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 9:22am

जात-पात भूल के अब हिंद का तू लाल बन
बन अडिग हिमालय सा हिंद का तू भाल बन
हाथ से मिला के हाथ शक्ति अपनी जोड़ ले
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले

बहुत खूबसूरत गीत सर जी
बहुत बहुत बधाई आपको सादर

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:19am

धन्य हो आदरणीय अम्बरीश जी.......
दिन सुधार दिया आज का
___________वाह क्या अनुपम गीत !

जोश और दायित्वबोध का ऐसा अद्भुत और सुन्दर संगम देख कर मन प्रेरित हो रहा है कुछ ढंग का लिखने के लिए..........

हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे, 

उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,

चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............

___हाय हाय हाय हाय ..क्या तेवर हैं आपके............नमन बन्धु नमन !

आपका ये अभिनव गीत किसी के जीवन से उदासियाँ  निकाल कर उसे  उजाले की राह पर अग्रसर होने  की प्रेरणा देने में पूर्ण सक्षम है ..और यही तो कवि का कर्म है जो आपने बड़ी  उस्तादी के साथ निभाया है

__आपकी जय हो गुरू !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 2:04am

स्वागतम आदरेया सीमा जी, आपका अनुमोदन पाकर यह सृजन सार्थक हो उठा है .....इस निमित्त आपके प्रति  हार्दिक आभार ब्यक्त कर रहा हूँ ....सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 2:02am

प्रिय दीप्ति जी, इस गीत को सराहने के लिए आपका आभार ....सस्नेह ....

Comment by deepti sharma on July 13, 2012 at 1:43am

मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा, 

गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,

हिम्मतों  से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले................

बहुत ही सुंदर रचना है बहुत बधाई आपको 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी सादर. प्रदत्त चित्र पर आपने सरसी छंद रचने का सुन्दर प्रयास किया है. कुछ…"
19 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव साहब सादर, प्रदत्त चित्रानुसार घुसपैठ की ज्वलंत समस्या पर आपने अपने…"
32 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
""जोड़-तोड़कर बनवा लेते, सारे परिचय-पत्र".......इस तरह कर लें तो बेहतर होगा आदरणीय अखिलेश…"
36 minutes ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"    सरसी छंद * हाथों वोटर कार्ड लिए हैं, लम्बी लगा कतार। खड़े हुए  मतदाता सारे, चुनने…"
42 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय सौरभ भाईजी हार्दिक आभार धन्यवाद , उचित सुझाव एवं सरसी छंद की प्रशंसा के लिए। १.... व्याकरण…"
1 hour ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द लोकतंत्र के रक्षक हम ही, देते हरदम वोट नेता ससुर की इक उधेड़बुन, कब हो लूट खसोट हम ना…"
5 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण भाईजी, आपने प्रदत्त चित्र के मर्म को समझा और तदनुरूप आपने भाव को शाब्दिक भी…"
19 hours ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"  सरसी छंद  : हार हताशा छुपा रहे हैं, मोर   मचाते  शोर । व्यर्थ पीटते…"
yesterday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ रोहिंग्या औ बांग्ला देशी, बदल रहे परिवेश। शत्रु बोध यदि नहीं हुआ तो, पछताएगा…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"जय-जय, जय हो "
yesterday
Admin replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 174 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-186

ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 186 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का मिसरा आज के दौर के…See More
Dec 14

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service