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“जिन्दगी का गीत”

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा, 

गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,

हिम्मतों  से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले................

 

हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे, 

उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,

चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............

 

--अम्बरीष श्रीवास्तव

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Comment

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Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 10:48am

स्वागत है संदीप जी. गीत की सराहना के लिए हार्दिक धन्यवाद .....बहुत ही खूबसूरत पंक्तियाँ रची हैं आपने ....

//जात-पात भूल के अब हिंद का तू लाल बन
बन अडिग हिमालय सा हिंद का तू भाल बन
हाथ से मिला के हाथ शक्ति अपनी जोड़ ले
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले//

जात-पात भूल के जो  हिंद का तू लाल बन
बन अडिग तू पर्वतों सा हिंद का तू भाल बन
हाथ से मिला के हाथ शक्ति अपनी जोड़ ले
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.......

वाह वाह वाह ......क्या कहने बहुत सुंदर सन्देश .......आपको भी बहुत-बहुत बधाई मित्र ...सस्नेह

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 10:39am

स्वागत है आदरणीय अलबेला जी ! आपका हार्दिक आभार मित्र .... आप की सराहना पाकर यह सृजन सार्थक हुआ ......जय ओ बी ओ !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2012 at 10:37am

होंसलों से ही सभी दुविधाओं ,रुकावटों पर विजय प्राप्त होती है प्रगति  के पथ पर बहुत सुन्दर सन्देश देती हुई आगे कदम बढ़ाती  हुई आपकी इस रचना पर बहुत बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on July 13, 2012 at 10:11am

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...हम जैसे युवाओ  के लिए बहुत जोशीला सन्देश देती रचना,

हिम्मते मरदे मददे खुदा - हार्दिक बधाई,अम्बरीष श्रीवास्तवजी 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on July 13, 2012 at 9:31am
आदरणीय अम्बरीश जी,
बुलंद हौसलों के साथ हर चुनौती को जीत लेने की  प्रेरणा देता, जोश से व्याप्त बहुत खूबसूरत गीत लिखने के लिए हार्दिक आभार और बधाई स्वीकार करें. सादर. 
Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on July 13, 2012 at 9:22am

जात-पात भूल के अब हिंद का तू लाल बन
बन अडिग हिमालय सा हिंद का तू भाल बन
हाथ से मिला के हाथ शक्ति अपनी जोड़ ले
जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले

बहुत खूबसूरत गीत सर जी
बहुत बहुत बधाई आपको सादर

Comment by Albela Khatri on July 13, 2012 at 9:19am

धन्य हो आदरणीय अम्बरीश जी.......
दिन सुधार दिया आज का
___________वाह क्या अनुपम गीत !

जोश और दायित्वबोध का ऐसा अद्भुत और सुन्दर संगम देख कर मन प्रेरित हो रहा है कुछ ढंग का लिखने के लिए..........

हाथ-पांव साथ देंगें रोज इम्तेहान दे, 

उड़ चलेगा हौसले बुलंद रख के ध्यान दे,

चमचमाते तारे आज आसमां से तोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले...............

___हाय हाय हाय हाय ..क्या तेवर हैं आपके............नमन बन्धु नमन !

आपका ये अभिनव गीत किसी के जीवन से उदासियाँ  निकाल कर उसे  उजाले की राह पर अग्रसर होने  की प्रेरणा देने में पूर्ण सक्षम है ..और यही तो कवि का कर्म है जो आपने बड़ी  उस्तादी के साथ निभाया है

__आपकी जय हो गुरू !

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 2:04am

स्वागतम आदरेया सीमा जी, आपका अनुमोदन पाकर यह सृजन सार्थक हो उठा है .....इस निमित्त आपके प्रति  हार्दिक आभार ब्यक्त कर रहा हूँ ....सादर

Comment by Er. Ambarish Srivastava on July 13, 2012 at 2:02am

प्रिय दीप्ति जी, इस गीत को सराहने के लिए आपका आभार ....सस्नेह ....

Comment by deepti sharma on July 13, 2012 at 1:43am

मंजिलें अलग-अलग हैं रास्ते जुदा-जुदा, 

गर तू पीछे रह गया तो साथ देगा क्या खुदा,

हिम्मतों  से काम लेके रुख हवा का मोड़ ले.

जिन्दगी भी रेस है तू दम लगा के दौड़ ले.

 

रास्तों में मुश्किलें हैं आज इनसे होड़ ले................

बहुत ही सुंदर रचना है बहुत बधाई आपको 

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