तू अगर दूर जाकर, हमसे बेखबर है..
Comment
आदरणीय रेखा जी, सुक्रिया आपका ..
प्रदीप जी
आदरणीय श्री सुरेन्द्र कुमार शुक्ल जी, हृदय से आपको धन्यवाद् ....
याद न आई, या मुझे भुला दिया..
आदरणीय श्री प्रदीप जी ! ह्रदय के भाव उजागर हो रहे हैं ! बधाई !! प्रयास बढ़िया है | समय निकाल कर दूसरों को पढने का प्रयास करें एक लिखने से पहले सौ पढना ही परिपक्वता का मार्ग प्रशस्त करता है || शुभकामनाएं !!
प्रदीपजी, क्या प्रस्तुत रचना आपकी पहली रचना है ? या, आप इससे पहले भी कोशिश कर चुके हैं ?
आप जब कुछ भी पोस्ट करते हैं तो क्लिक करने के पहले खुद पढ़ लिया करें. दूसरों के मन में आपके लिये अच्छा इमेज बनेगा, वर्ना पाठक आपको कैजुअल रचनाकार समझ कर गंभीरता से नहीं लेंगे.
बहरहाल, आपको आपकी रचना के अनुमोदित हो जाने और इसकी सफल प्रविष्टि के लिये हृदय से बधाई.
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