For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घोसले बनाते है बड़े अरमानो के साथ

अपने भावो को शब्दों में उतारना मुमकिन न था, एक कोशिश की है मुझे मेरी त्रुटियों से अवगत कराएँ ताकि भविष्य में उनको दोहराने की भूल न करूँ
आपका योगेश शिवहरे "यश"

 

जो घोसले  बनाते है बड़े अरमानो के साथ
ज़माने ने देखे बड़े रंज-ओ  गम के साथ

अब जाये भी तो कहा जाये ये बेजुबान  पंक्षी 
क्या पता उन्हें जो घर में बैठे है इत्मिनान के साथ

हश्र के दिन जब हिसाब होगा बताये क्या
खुदा खुद  ही बताएगा क्या होगा तेरे साथ

ये जो नाज़ करते हैं अपनी अमीरी पर अदब के साथ
क्या पता उन्हें नहीं जायेंगे सिर्फ  कफ़न के साथ

अब क्या क्या होने लगा है इस  ज़माने में
सलाम भी ठोकते है लोग  बड़ी तकल्लुफ के साथ

हमें कोई गम तो नहीं "यश "मगर एक शिकायत बड़ी है
कुछ करो तो ऐसा करो की नज़र मिला सको खुद के साथ

Views: 536

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by yogesh shivhare on June 22, 2012 at 10:39am

  सादर प्रणाम रेखा जी अपने सब्दों से इन कली रुपी पंक्तियों को जो स्नेह दिया है ,,,,आभार  


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 21, 2012 at 10:27pm

योगेश शिवहरे जी आपकी रचना बहुत पसंद आई ओ बी ओ से जुड़े रहिये रचनाओं में निखार आता जाएगा और त्रुटियाँ भी पता चलती जायेगी बहरहाल दाद कबूल करें इस सुन्दर रचना के लिए 

Comment by yogesh shivhare on June 13, 2012 at 9:28pm

बहुत बहुत धन्यवाद् अलबेला भाई जी आगे से इन गलतियों से खुद को जुदा करने की कोशिश करूँगा.इतना स्नेह के लिए सादर आभार

Comment by Albela Khatri on June 13, 2012 at 8:19pm

सम्मान्य योगेश शिवहरे जी,
बहुत अच्छी बातें कही आपने अपनी रचना में............थोड़ा सा टंकण  की त्रुटियों पर ध्यान दे कर  उन्हें दूर कर लें तो बेहतर होगा
धन्यवाद

Comment by Bishwajit yadav on June 13, 2012 at 2:25pm
प्रणाम योगेश जी

जो घोसले बनाते है बड़े अरमानो के साथ
ज़माने ने देखे बड़े रंज-ओ गम के साथ
वाह! क्या बात है बधाई हो बहुत सुन्दर रचना
Comment by जगदानन्द झा 'मनु' on June 13, 2012 at 2:12pm

आदरणीय   योगेश  शिवहरे जी , आपकी  यह  रचना आगाज  है तो अंजाम  न जाने क्या होगा ........

एक बढियां रचना के लिय बधाई स्वीकार करे 
Comment by Yogi Saraswat on June 13, 2012 at 12:05pm

अब क्या क्या होने लगा है इस  ज़माने में
सलाम भी ठोकते है लोग  बड़ी तकल्लुफ के साथ

आदरणीय योगेश शिवहरे जी नमस्कार ! सुन्दर अल्फाजों से सजी ग़ज़ल है आपकी , अच्छी लगी !

Comment by yogesh shivhare on June 12, 2012 at 10:37pm

ये तो कोशिश की है सिर्फ भावों को सब्दों में उतरा है मुझे ये पता नहीं है की ये कविता है या ग़ज़ल है जैसी थी आपके समक्ष प्रस्तुत की और आपका स्नेह मिला अप बताने का कष्ट करें की ये कौन सी विधा में लिखी है

Comment by yogesh shivhare on June 12, 2012 at 10:34pm

आदरणीय प्रदीप जी आपने जो  सब्दो के फूल दिए है और जो स्नेह दिया उसके लिए आभार

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on June 12, 2012 at 9:13pm

आदरणीय योगेश जी, सादर 

बहुत सुन्दर भाव के साथ आपने ये रचना प्रस्तुत की है, बधाई,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"छोटी बह्र  में खूबसूरत ग़ज़ल हुई,  भाई 'मुसाफिर'  ! " दे गए अश्क सीलन…"
4 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . नजर
"अच्छा दोहा  सप्तक रचा, आपने, सुशील सरना जी! लेकिन  पहले दोहे का पहला सम चरण संशोधन का…"
5 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Saurabh Pandey's blog post कापुरुष है, जता रही गाली// सौरभ
"आ. भाई सौरभ जी, सादर अभिवादन। सुंदर, सार्थक और वर्मतमान राजनीनीतिक परिप्रेक्ष में समसामयिक रचना हुई…"
9 hours ago
Sushil Sarna posted a blog post

दोहा सप्तक. . . नजर

दोहा सप्तक. . . . . नजरनजरें मंडी हो गईं, नजर बनी बाजार । नजरों में ही बिक गया, एक जिस्म सौ बार…See More
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२/२१२/२१२/२१२ ****** घाव की बानगी  जब  पुरानी पड़ी याद फिर दुश्मनी की दिलानी पड़ी।१। * झूठ उसका न…See More
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"शुक्रिया आदरणीय। आपने जो टंकित किया है वह है शॉर्ट स्टोरी का दो पृथक शब्दों में हिंदी नाम लघु…"
Sunday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"आदरणीय उसमानी साहब जी, आपकी टिप्पणी से प्रोत्साहन मिला उसके लिए हार्दिक आभार। जो बात आपने कही कि…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"कौन है कसौटी पर? (लघुकथा): विकासशील देश का लोकतंत्र अपने संविधान को छाती से लगाये देश के कौने-कौने…"
Sunday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"सादर नमस्कार। हार्दिक स्वागत आदरणीय दयाराम मेठानी साहिब।  आज की महत्वपूर्ण विषय पर गोष्ठी का…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई गिरिराज जी , सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post शेष रखने कुटी हम तुले रात भर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ.भाई आजी तमाम जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Saturday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-125 (आत्मसम्मान)
"विषय - आत्म सम्मान शीर्षक - गहरी चोट नीरज एक 14 वर्षीय बालक था। वह शहर के विख्यात वकील धर्म नारायण…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service