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=========== माँ ===========

=========== माँ ===========

मेरे आते ही तेरा मुश्कुराना याद है
वो रोते रोते तुझसे लिपट जाना याद है

तेरे हाथों में माँ जादू रहा मीठा कोई
वो अपने हाथों से मुझको खिलाना याद है

तेरा दर छोड़ा मैंने जब पढ़ाई के लिये
मैं खुद भी रोया माँ तुझको रुलाना याद है

मेरे गम अपने आँचल में छुपा तुमने रखे
मेरी खुशियों में तेरा खिलखिलाना याद है

मेरे यारों ने मुझको नाम तो नए नए दिए
माँ तेरा वीरा कह मुझको बुलाना याद है

मैं तो रूठा हूँ माँ हर बार गलती में मेरी
वो गोदी में बैठा फिर भी मनाना याद है

मैं रब से ये मांगू सबको मिले माँ इधर पे
उसकी जन्नत में वो गुजरा जमाना याद है

उसकी ममता की छाया दीप किस्मत से मिले
मैं तो सोया हूँ पर उसको जगाना याद है

====संदीप कुमार पटेल "दीप"=====

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2012 at 2:53pm
आदरणीय संदीप जी, सादर 
माँ मुझे सब याद है 
अगले जनम तू ही मिले
ईश्वर से यही  फ़रियाद है . 
बधाई . 

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on May 13, 2012 at 12:44pm

//तेरे हाथों में माँ जादू कोई मीठा रहा,
वो अपने हाथों से मुझको खिलाना याद है //

संदीप जी , खुबसूरत ख्याल की ग़ज़ल आपने कही है , रदीफ़ काफिया का निर्वहन भी बढ़िया से किया गया है , बहर कही कही गड़बड़ है, एक बार चेक कर लें | बहरहाल इस खुबसूरत ग़ज़ल पर दाद कुबूल करें |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on May 13, 2012 at 12:30pm

संदीप कुमार जी बहुत प्यारी भावपूर्ण ग़ज़ल लिखी है आपने ग़ज़ल की प्रथम पंक्ति में टंकण दोष ....ठीक कर लीजिये मुस्कुराना ...बहुत बहुत बधाई 

कृपया ध्यान दे...

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