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“ प्यार तो हो गया”

मिल बैठ कर परिजनों ने बात नही की थी

पर नज़रें मिलीं थी आपसे

शहनाईयां नही बजी थी

पर तार दिलों के झनझनाए थे

दिए-बत्तिय़ों की चकाचौंध नही हुई थी

पर जज़्बातों की शम्मां रौशन हुई थी

महफिलें नहीं सजीं थी

पर दो जनों की मुलाकात थी

बाराती मिलन समारोह हुआ था

पर दो आत्माएं अक्सर मिलती थीं

नाच-गाने नही हुए थे

पर अंतर के मयूर नाचा करते थे

गठबंधन नही हुआ था

पर दो मन जुङ गए थे

विदाई भी कहां हुई थी

पर अपनों से बेगाने हो गए थे हम

कहां गुजरे रस्मों-रिवाजों से

पर जाने कब आपके हो गए

समाज हमें आपका,आपको हमारा माने ना माने

हमारी चाहतों को मुकम्मल करे ना करे

हम तो हर जनम के लिए आपके हो चुके

कैसे बताएं सबसे शादी ना हुई तो क्या हुआ

प्यार तो हो गया

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Comment

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Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 5, 2012 at 8:39am

मीनू दीदी सादर प्रणाम

बहुत अच्छी पक्तियां. बधाई...
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on April 18, 2012 at 11:25pm

pyar ka bandhan hai , pyar to hona hi tha. 

समाज हमें आपका,आपको हमारा माने ना माने

हमारी चाहतों को मुकम्मल करे ना करे

हम तो हर जनम के लिए आपके हो चुके

कैसे बताएं सबसे शादी ना हुई तो क्या हुआ

 प्यार तो हो गया

snehi minu ji, sadar

naye tarike se bhavatmak rachna, badhai.

Comment by MAHIMA SHREE on April 18, 2012 at 5:49pm
मीनू दी नमस्कार ..
सच तो है भावना का कोमल बंधन है है जहाँ , वहां रस्मो की जरुरत नहीं होती ...
उच्चे भाव सुंदर प्रस्तुति...बधाई आपको
Comment by Abhinav Arun on April 17, 2012 at 1:29pm

कैसे बताएं सबसे शादी ना हुई तो क्या हुआ

प्यार तो हो गया

अच्छी काव्य रचना मीनू जी हार्दिक badhai आपको !!

Comment by संदीप द्विवेदी 'वाहिद काशीवासी' on April 17, 2012 at 12:18pm

उम्दा प्रस्तुति मीनू जी! बधाई हो!

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