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किसका किसका हिसाब बाक़ी है

किसका किसका हिसाब बाक़ी है,
जाने क्या क्या अज़ाब बाक़ी है......

नब्ज़ देखो अभी भी चलती है,
हसरते टूट गयीं जान अब भी बाक़ी है.....

दिलों के ज़ख्म हैं आँखों की राह रिसते हैं,
तुम समझते हो कि आँसू हमारे बाक़ी हैं.....

सुनो एक बात पूछनी थी, मगर रहने दो,
तुम को क्या पता एहसास कहाँ बाक़ी है.....

मेरे गुनाहों की फ़ेहरिस्त ज़रा लम्बी है,
खुदा सुना चुका सज़ा भगवान अभी बाक़ी है.....

याद से ले लो तुम्हारा जो कुछ निकलता हो,
फिर न कहना कि हमारा हिसाब बाक़ी है.....

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

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Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 13, 2012 at 2:07pm

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

सरिता जी सुन्दर गजल ...सच में उससे बड़े हिसाब बाकी हैं ...काश ये हम सब को याद रहे ..हम हिंदी वाले भी हैं कुछ उर्दू लफ्ज समझा दिया कीजिये 

अजाब ?
जय श्री राधे 
भ्रमर ५ 


Comment by RAJEEV KUMAR JHA on April 12, 2012 at 3:47pm

बहुत सुन्दर गजल,सरिता जी.

दिलों के ज़ख्म हैं आँखों की राह रिसते हैं, तुम समझते हो कि आँसू हमारे बाक़ी हैं.....

सुनो एक बात पूछनी थी, मगर रहने दो, तुम को क्या पता एहसास कहाँ बाक़ी है.....

बहुत सुन्दर पंक्तियाँ हैं.

Comment by MAHIMA SHREE on April 12, 2012 at 1:52pm
फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

वाह वाह .... Really you stole the show .. :)
बहुत -२ बधाई आपको..
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on April 12, 2012 at 5:59am

याद से ले लो तुम्हारा जो कुछ निकलता हो,
फिर न कहना कि हमारा हिसाब बाक़ी है.....

फिर क़यामत के दिन बस हम होंगे और खुदा होगा,
मेरा तुमसे नहीं , उस से हिसाब बाक़ी है.....

बहुत ही लाजवाब!
आदरणीय सरिता बहन, नमस्कार!
मै तो कहूँगा ये  तो धुआं निकल रहा है
आग अभी बाकी है!
Comment by satish mapatpuri on April 12, 2012 at 12:49am

नब्ज़ देखो अभी भी चलती है,

हसरते टूट गयीं जान अब भी बाक़ी है.....

बहुत खूब.................  बधाई सरिता जी

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