For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

अंधे रास्ते
 

ये वो रास्ते है
जो अंधे हैं
ये कर देते हैं
मजबूर पथिक को
रुकने को कभी
तो कभी लौटने को.
करते हैं जो हिम्मत
बढ़ने की आगे,
लडखड़ा जाते हैं वो भी
कुछ कदम पर ही .
आखिर क्यों ?
चांदनी सा बदन
दिलों का मिलन 
कसमें वादे  
मज़बूत इरादे 
दुनिया से बगावत
डेटिंग व दावत
माँ -बाप, मित्र अपने
मखमली -रुपहले सपने 
हो जाते हैं धूमिल 
इन अंधे रास्तों में  ..
मेरे महबूब  
नहीं मालूम तुमें  
इन जबड़ों का
पूतना के,
जो सक्षम हैं
निगल जाने को
तेरे मासूम सपनें 
जो तुमनें संजोये
उस  जिंदगी  के 
जो दिखती  हैं
हर  युवा  दिल  को
मखमली  गुडिया सी 
फूलों  की बगिया सी
हमसफ़र मेरे !
जान ले तू ...
जाने को उस तक
गुजरना होता है
अंधे रास्ते से.
जिनमें बोये जाते हैं
कांटे शक के .
खोदी जाती हैं खाईयां
सम्प्रदायों की नफरत की .
बिछाई जाती हैं लैंड माइन
अमीरी के गुरुर की ,
जो अक्सर उड़ा देती है
धज्जियां हवा में ,
मुफलिस मोहब्बतों की
पर ... 
देना  होगा 
मार्ग स्वयं ही
हम दोनों को इन्हें
बस  ...
पकडे  रहना 
हाथ मेरा
छोडना मत
साथ मेरा
इसी तरह...
विश्वास  से...
जो बन कर बारूद
एक दिन ज़रूर
कर देगा चूर

उन सभी को
जो बनाये  हुए  है
इन प्रेम मार्गों को
अंधे रास्ते .  .

रचयिता : डा अजय कुमार शर्मा ( गीतकार डा अजय )





 

Views: 419

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 14, 2012 at 4:30am

बहुत सुन्दर ! बधाई अजय जी..

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 13, 2012 at 4:02pm

चांदनी सा बदन

दिलों का मिलन  

कसमें वादे   

मज़बूत इरादे  

दुनिया से बगावत 

डेटिंग व दावत 

अजय जी सुन्दर भाव प्रवाह और तारतम्य ..सुन्दर रचना ..जब आप जैसे प्रोफेसन के लोग साहित्य में आते है तो बहुत ख़ुशी होती है 

चंबा में भूकंप था अब ठीक है सब ?
भ्रमर ५ 


Comment by Dr Ajay Kumar Sharma on April 6, 2012 at 5:08pm

स्वागत है मनोज कुमार सिंह ' मयंक ' जी ..

Comment by मनोज कुमार सिंह 'मयंक' on April 4, 2012 at 9:00am

धन्यवाद

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
23 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
23 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय कपूर साहब नमस्कार आपका शुक्रगुज़ार हूँ आपने वक़्त दिया यथा शीघ्र आवश्यक सुधार करता हूँ…"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, बहुत सुन्दर ग़ज़ल है आपकी। इतनी सुंदर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​ग़ज़ल का प्रयास बहुत अच्छा है। कुछ शेर अच्छे लगे। बधई स्वीकार करें।"
23 hours ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"सहृदय शुक्रिया ज़र्रा नवाज़ी का आदरणीय धामी सर"
23 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ​आपकी टिप्पणी एवं प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय आज़ी तमाम जी, प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तमाम जी, हार्दिक आभार।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति , स्नेह और मार्गदर्शन के लिए आभार। मतले पर आपका…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आदरणीय तिलकराज कपूर जी, आपकी टिप्पणी एवं मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार। सुधार का प्रयास करुंगा।…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। आ. भाई तिलकराज जी के सुझाव से यह और निखर गयी है।…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service