For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")


फाग बड़ा चंचल करे, काया रचती रूप !
भाव-भावना-भेद को, फागुन-फागुन धूप !!

फगुनाई ऐसी चढ़ी,  टेसू धारें आग
दोहे तक तउआ रहे,  छेड़ें मन में फाग ॥

भइ, फागुन में उम्र भी करती जोरमजोर
फाग विदेही कर रहा, बासंती बरजोर !!

जबसे सींचित हो गये, बूँद-बूँद ले नेह ।
मन में फागुन झूमता, चैताती है देह !!

बोल हुए मनुहार से, जड़वत मन तस्वीर
मुग्धा होली खेलती, गुद-गुद हुआ अबीर ॥

धूप खिली छत खेलती, अल्हड़ खोले केश ।
इस फागुन फिर रह गये, बचपन के अवशेष ॥

करता नंग अनंग है, खुल्लमखुल्ले भाव
होश रहे तो नागरी,  जोशीले को ताव .. !

हम तो भाई देस के,  जिसके माने गाँव  ।
गलियाँ घर-घर जी रहीं - फगुआ, कुश्ती-दाँव ॥

****************
सौरभ 

 

Views: 943

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 23, 2016 at 1:54pm

आदरणीया कान्ताजी, आपके अनुमोदन से फागुनी दोहे खिल उठे ! 

पुरानी रचनाओं से गुजरना स्वयं मेरे लिए भी उन जिये हुए क्षणों से गुजरना है.. आभार 

आपके साथ भाई अजीतेन्दु एवं आदरणीय सूर्या बाली को भी हार्दिक धन्यवाद कह रहा हूँ. 

Comment by kanta roy on February 23, 2016 at 11:40am
जबसे सींचित हो गये, बूँद-बूँद ले नेह ।
मन में फागुन झूमता, चैताती है देह !!
----- वाह ! फागुआ का रंग तो गजब का चढ़ा है यहाँ दोहे में । अद्वितीय छंद की प्रस्तुति हुई है आपके द्वारा आदरणीय सौरभ जी ,पढ़कर सच कहूँ तो मन अबीर हो आया है । ढेरों बधाई आपको ।
Comment by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on May 16, 2012 at 2:46pm

सौरभ जी दोहों के माध्यम से आपने फागुन की खूबसूरती का मनभावन वर्णन किया है। बहुत अच्छा !!

Comment by कुमार गौरव अजीतेन्दु on May 5, 2012 at 8:25am

सौरभ जी सादर प्रणाम

आपकी रचना पढ़ के मन तो फिर फागुन में खो गया. बहुत बढ़िया...

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on April 16, 2012 at 10:08am

सादर धन्यवाद भ्रमरजी.

Comment by SURENDRA KUMAR SHUKLA BHRAMAR on April 15, 2012 at 7:35pm

फगुनाई ऐसी चढ़ी,  टेसू धारें आग

दोहे तक तउआ रहे,  छेड़ें मन में फाग ॥

प्रिय  भ्राता श्री 

खूब बन पड़ी ये फाग की कहानी ..मन भावन ..तभी तो लोग कहते हैं की फागुन में बुढवू को भी चढ़ गयी ......दोहे भी   तउआ रहे ...
बधाई 
भ्रमर ५ 



भइ, फागुन में उम्र भी करती जोरमजोर

फाग विदेही कर रहा, बासंती बरजोर !!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 10:17am

आदरणीय चातक जी, इन दोहों पर आपकी दृष्टि और आपका अनुमोदन मेरे लिये अत्यंत ही सुखकारी है. सहयोग बना रहे.

सादर


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 10:15am

भाई राकेश जी,  सुर में सुर मिले और समां न बँधे ! आपने दोहों को अनुमोदित किया, हम आभारी हैं. सहयोग बना रहे.

हार्दिक धन्यवाद


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on March 15, 2012 at 10:13am

आपकी नज़रेसानी मुझपे करम, आदरणीय योगराजभाईजी. क्या ताल दी है आपने. वाह ! अबके होली यादगार हो गयी.

Comment by Chaatak on March 14, 2012 at 10:55pm

स्नेही सौरभ जी, सादर अभिवादन, फागुन और फाग का ये खूबसूरत वर्णन दिल को छू गया |
अच्छे लेखन पर हार्दिक बधाई !

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। दोहों पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहवर्धन हुआ। स्नेह के लिए आभार।"
12 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और प्रशंसा के लिए आभार।"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरनीय लक्ष्मण भाई  , रिश्तों पर सार्थक दोहों की रचना के लिए बधाई "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  भाई  , विरह पर रचे आपके दोहे अच्छे  लगे ,  रचना  के लिए आपको…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई चेतन जी सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए हार्दिक धन्यवाद।  मतले के उला के बारे में…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ. भाई गिरिराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति के लिए आभार।"
17 hours ago
Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . . विरह शृंगार
"आ. सुशील  सरना साहब,  दोहा छंद में अच्छा विरह वर्णन किया, आपने, किन्तु  कुछ …"
20 hours ago
Chetan Prakash commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आ.आ आ. भाई लक्ष्मण धामी मुसाफिर.आपकी ग़ज़ल के मतला का ऊला, बेबह्र है, देखिएगा !"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post कहीं खो गयी है उड़ानों की जिद में-गजल
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाई "
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी and Mayank Kumar Dwivedi are now friends
Monday
Mayank Kumar Dwivedi left a comment for Mayank Kumar Dwivedi
"Ok"
Sunday
Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
Apr 1

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service