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अभी तक गई नहीं तुम्हारी  आदत 

हर जगह मेरा नाम लिखने की !
वो भी दिन थे 
जब तुम रंग बिरंगी चॉक से 
लिख देते थे मेरा नाम श्यामपट्ट पर 
और उपहास के पात्र बनते थे हमदोनो!
कभी मेरे घर के इर्द गिर्द घूमते हुए 
दीवारों पर 
कभीचुपके से फेंके हुए मेरे आँगन में 
अपने ख़त में ,
 लिख देते थे खून से मेरा नाम !
फिर तुमने उस दिन
 रस्मो रिवाजो की मौजूदगी में 
लिख दिया था मेरा नाम हिना से 
अपनी हथेली पर !
और न जाने कितनी चांदनी रातों में 
लिख देते थे चाँद पर उंगली से मेरा नाम !
देखो आज भी उस पत्थर पर
जिसके नीचे मैं सोई हूँ  
लिख रहे हो रंगहीन आंसुओं से 
मेरा नाम !
तुम कहते हो कि 
तुम्हारे रंग खो गए हैं कहीं!
मेरी गुजारिश है तुमसे 
कि आज से तुम अपने दिल पर 
कोई नया नाम लिखो 
धीरे धीरे खोये रंग भी लौट आयेंगे 
और मेरी रूह को चैन भी  मिल जाएगा !
 

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Comment

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 17, 2012 at 1:28pm

Saurabh ji dil se aabhari hoon aapke is amoolya vishleshan ke liye.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 16, 2012 at 9:54pm

राजेश कुमारी जी, निश्शब्द कर दिया आपने ! प्रगाढ़ प्यार को प्रस्तुत करती पवित्र पंक्तियाँ !!  सांत्वना का कितना निश्छल स्वरूप !!!

आपकी संवेदना ने आज अभिभूत कर दिया, आदरणीया.  इस सुन्दर अभिव्यक्ति पर सादर बधाइयाँ !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 16, 2012 at 5:31pm

hardik aabhar Aasha ji.

Comment by asha pandey ojha on February 16, 2012 at 4:11pm

smrtiyon ka anuraag bhi azab hai .. our aapki lekhni bhi gazb hai 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 5, 2012 at 4:39pm

aabhar Seema ji.


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 4, 2012 at 9:09am

RAjbundeli ji aur Aasutosh ji bahut bahut shukriya.

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on February 3, 2012 at 7:54pm

सुन्दर रचना हेतु बधाई,,,,,,,,,,,,,


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2012 at 12:12pm

अरुण जी शुक्रिया रचना ने आपकी भावनाओं को छुआ

Comment by Arun Sri on February 3, 2012 at 12:08pm
देखो आज भी उस पत्थर पर
जिसके नीचे मैं सोई हूँ  
लिख रहे हो रंगहीन आंसुओं से 
मेरा नाम !
तुम कहते हो कि 
तुम्हारे रंग खो गए हैं कहीं!
मेरी गुजारिश है तुमसे 
कि आज से तुम अपने दिल पर 
कोई नया नाम लिखो 
धीरे धीरे खोये रंग भी लौट आयेंगे 
और मेरी रूह को चैन भी  मिल जाएगा !
शब्दातीत अनुभूति हुई ! इस कविता के लिए वाह वाह कहना ठीक न होगा ! एक गहरी ख़ामोशी , आखों के भीगते कोर और कुछ भी नही ! बस शून्य सा सब कुछ !

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on February 3, 2012 at 11:31am

bahut bahut shukriya Avinash ji ki meri rachna ko tumne dil se padha aur mahsoos kiya.

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