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हमको यह गुमा था की हम है दिलो के खरेदार बड़े
लेकिन वो तो हमसे भी बड़े सौदागर निकले,
इतनी साफगोई से चुरा ले गए वो दिल हमारा,
इस बात की कानोकान हमें खबर हुई,
जो धडकता था सीने में हमारे,
आज उसकी धड़कन में तेरा ही गुंजन है,
हैरान हूँ कैसे हो गया ऐसा,
यह दिल तो मेरा होने का दम भरता था,
आज क्यों यह मेरे पहलु से खिसका जाता है,
हर सांस के साथ बस तेरा ही नाम लिए जाता है ...........

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Comment

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Comment by Kiran Arya on January 23, 2012 at 11:09am

नीरज नमस्कार मैं गणेश जी की बात से इतेफाक रखती हूँ सुख दुःख जीवन के पहलु है तो सोचा आज इस पहलु पर लिखा जाए, जल्द ही जीवन के सुखद पहलु पर भी अपने विचार आप सभी के साथ साँझा करुँगी...........आभार........

Comment by Kiran Arya on January 23, 2012 at 11:07am

गणेश जी नमस्कार, बस आप सभी मित्रो के सानिध्य में सीख रहे है विचारो को अपने लेख्निबध कर आप सभी संग साँझा करना...............आभार......


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 21, 2012 at 11:36am

नीरज जी, संयोग और वियोग तो जीवन के दो पहलु है, ख़ुशी है तो गम भी है, फिर उदासी वाली कविता से परहेज क्यों ? उजाले के साथ साथ हमें अँधेरे को भी स्वीकार करना ही होगा |


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on January 21, 2012 at 10:38am

//इतनी साफगोई से चुरा ले गए वो दिल हमारा,
इस बात की कानोकान हमें खबर हुई,//

वाह वाह, क्या बात है, बड़ी बात , बड़े साफगोई से अभिव्यक्त कर दिया , अच्छी रचना , बधाई स्वीकारे |

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