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एक रोटी का छोटा टुकड़ा जब दिल चाहा  तब डाल दिया . 
इस पर भी मैंने  खुश होकर वोह जब आया सत्कार किया .
मैं फिर भी नहीं समझ पाया की उसने क्यों दुत्कार दिया . 
उसके बच्चे मुझको प्यारे वे मोती हैं मैं धागा  हूँ .
मैं उनकी गेंद उठाने को दूर दूर तक भागा हूँ. 
वे मेरे संग दिन भर खेले मैंने भी उनको प्यार दिया .
मैं अब तक नहीं समझ  पाया कि  उसने क्यों दुत्कार दिया.
घर में मेरी कोई जगह नहीं इससे है मुझे इंकार नहीं. 
वोह मुझे बांध कर रखता है इस पर भी मुझे ऐतराज नहीं. 
मैं झूम कर पूंछ उठाता हूँ उसने जब भी पुचकार दिया.
मैं फिर भी नहीं समझ पाया की उसने क्यों दुत्कार दिया .
उसके घर कि रखवाली  को मैं शूर  वीर वन जाता हूँ. 
चोरों से और उच्हकों से काल सामान भीड़ जाता हूँ.
वोह सुख कि नींद सदा सोया मैं जग कर रात गुजार दिया.   
मैं फिर भी नहीं समझ पाया की उसने क्यों दुत्कार दिया .
इक दिन तो उसने पास बुला कर मुझको भ्रम में डाल दिया.
मैंने भी अपनी पलक मूँद कर सर चरणों में डाल दिया .
कुछ देर तो उसने प्यार क्या फिर एक लात क्यों मार दिया.
मैं फिर भी नहीं समझ पाया की उसने क्यों दुत्कार दिया .

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