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इस दिल ने नादानी में............

इस दिल ने नादानी में

आग लगा दी पानी में ।

 

वा'दे सारे खाक हुए

आया मोड़ कहानी में ।

 

तेरी याद चली आए

है ये दोष निशानी में ।

 

ना उल्फत को समझ सके

लोग फँसे नादानी में ।

 

या रब ऐसा क्यों होता 

दर्द मिले प्यार कहानी में ।

 

टूटा दिल, बहते आँसू

पाए विर्क जवानी में ।

 

     --------------- दिलबाग विर्क

           

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Comment

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Comment by राज लाली बटाला on March 8, 2012 at 9:34pm

Saurabh Pandey  -Saurabh Ji already explained !! 

Comment by Lata R.Ojha on December 2, 2011 at 6:52pm

aapke saath saath mujhe bhi seekhne ko mila Dilbag ji :)

bahut sundar rachna :)


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 2, 2011 at 6:37pm

इतना अवश्य है कि इस बह्र और इस काफ़िये-रदीफ़ पर बहुत कुछ हो सकता है. 

मुझे आंतरिक खुशी है कि मेरा वीनसजी के साथ इस तईं सकारात्मक बातचीत हुई है.  और बेहतर बातचीत हुई है.   इस हेतु दिलबाग़जी को हार्दिक बधाई कि आपने ऐसी विचारोत्तेजक ग़ज़ल पोस्ट की है.

 

Comment by वीनस केसरी on December 2, 2011 at 4:58pm

ना उल्फत को समझ सके

लोग फँसे नादानी में ।

(ना =२)  लिखना गलत है क्योंकि सही होता है (न = १ )

शेर ऐसे लिख सकते हैं

उल्फत को कब समझ सके  (और बेहतर किया जा सकता है)

लोग फँसे नादानी में ।

एक खास बात "समझ सके" का वज्न १२१२ होता है मगर यहाँ लय में है इसलिए छूट की वजह से यह सही है :)

Comment by वीनस केसरी on December 2, 2011 at 4:54pm

इसे ऐसे लिख सकते हैं


या रब ऐसा क्यों होता
दुख हर प्यार कहानी में

अब भी और अच्छा हो सकता है

Comment by वीनस केसरी on December 2, 2011 at 4:52pm

चौथे और पाँचवे शेर में अभी और काम करने की जरूरत है

दर्द मिले प्या / र कहानी में ।
२११२२ / ११२२२
इस मिसरे में एक दीर्घ ज्यादा है

Comment by dilbag virk on December 2, 2011 at 4:09pm

आदरणीय सौरभजी और केशरीजी 

प्रतिक्रिया के लिए बहुत-बहुत आभार

चौथे और पाँचवे शेर में थोडा बदलाव किया है, समय मिले तो उस पर भी राय दें

अन्य सुधीजनों से भी निवेदन है कि वे बेझिझक टिप्पणी करें ताकि सीखने में मदद मिल सके

धन्यवाद 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on December 1, 2011 at 11:50pm

बहुत सुन्दर दिलबाग़जी,  बहुत बढिया कही आपने.

 

वादे सारे खाक हुए

आया मोड़ कहानी में

आपका प्रयास मन मोह गया .. बधाई स्वीकारें .  

 

आखिरी कुछ शे’र पर थोड़ा और ध्यान देने की ज़रूरत है.

Comment by वीनस केसरी on December 1, 2011 at 11:17pm

वाह वा दिलबाग साहब,

ग़ज़ल पढ़ कर दिल बाग बाग हो गया

हार्दिक बधाई

शुरू के तीन शेर खास पसंद आये

हार्दिक बधाई

मतला के लिए अलग से ढेरो दाद कबूल फरमाएं

कृपया ध्यान दे...

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