For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

कविता

गिराया था फलक से कि
नीचे कोई है 
उठा लेगा उसे 
मिले जो ज़ख्म थे 
भरेंगे आप ही 
छूने से उसके .....
एक हवा आई तो थी 
नरमी का आभास दे 
गुज़र गयी छूके 
बदन  को जैसे 
मानो हाथ रख 
कोई  दिया हो ......
द्वन्द उठ रहे थे मन में 
क्या हो रहा यूँ 
नशे में डूब रहा 
पूरा तन 
ये किसके शबाब 
कि शराब है 
क्यूँ विचलित हो
 रहा मन .....
थी कोई व्यथा या 
कोई अंतर्वेदना 
कुछ उलझी सी 
किसकी है संवेदना 
ये सोच रहा मन 
बस इतना ही , कि
बढ गया दर्द 
अचानक ,
लग रहा था संपूर्ण 
अस्तित्व कोई ले 
गया हो , और  
दे गया 
कुछ अनबुझ पहेली सी .....
थी आने  की 
आहट या 
फिर  भ्रम  था ,
सतत टूटने का 
लगता 
फिर एक क्रम था .....
ज़ख्मों को हवा 
दे गया कोई 
न रूप था ना
कोई रंग ,
अपने आने की बस 
सदा  दे गया कोई .....
क्या यही है अंत ?
या फिर 
आदि है अभी 
कितने ज़ख्मों से 
रूबरू होना है अभी
वक़्त 
के साए में,
उलझी हुई कोई 
तस्वीर 
देखनी है अभी 
या ,दुखों से 
अब 
मौन रहके ख़ुशी 
आनी  है अभी ............
होगा कोई जो ! 
उठाएगा ,
और पूछेगा
दिल के हाल भी 
फिर से ,
फलक पर शेष 
फतह कराएगा अभी ........
लेखक  :  अतेन्द्र कुमार सिंह "रवि " 
 
  

Views: 389

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on December 24, 2011 at 3:03pm
बिल्कुल अबूझ पहेली सी इस रचना की गढ़न के लिए हार्दिक साधुवाद अतेन्द्र जी !! आपने संवेदनाओं को बहुत ही सुन्दर ढंग से व्यक्त किया है !
Comment by Atendra Kumar Singh "Ravi" on November 27, 2011 at 8:29am

hamaari kavita aapko pasand aaee....iske liye aapko ganesh sir bahut bahut dhanyavaad.....


मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on November 26, 2011 at 6:04pm
अचानक ,
लग रहा था संपूर्ण 
अस्तित्व कोई ले 
गया हो , और  
दे गया 
कुछ अनबुझ पहेली सी .....
बहुत खूब बिलकुल अनबुझ पहेली सी, कई बार पढ़ गया और बुझने का प्रयास करता रहा, विचारो का तारतम्य रचना को एक अलग सा आभास देता है, बधाई स्वीकार करे अतेन्द्र जी |

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Aazi Tamaam replied to Ajay Tiwari's discussion मिर्ज़ा ग़ालिब द्वारा इस्तेमाल की गईं बह्रें और उनके उदहारण in the group ग़ज़ल की कक्षा
"बेहद खूबसूरत जानकारी साझा करने के लिए तहे दिल से शुक्रिया आदरणीय ग़ालिब साहब का लेखन मुझे बहुत पसंद…"
4 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-177

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
6 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।   ........   धरा चाँद जो मिल रहे, करते मन…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post कुंडलिया
"आम तौर पर भाषाओं में शब्दों का आदान-प्रदान एक सतत चलने वाली प्रक्रिया है। कुण्डलिया छंद में…"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post अस्थिपिंजर (लघुकविता)
"जिन स्वार्थी, निरंकुश, हिंस्र पलों का यह कविता विवेचना करती है, वे पल नैराश्य के निम्नतम स्तर पर…"
yesterday
pratibha pande replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"आदरणीय  उस्मानी जी डायरी शैली में परिंदों से जुड़े कुछ रोचक अनुभव आपने शाब्दिक किये…"
Thursday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"सीख (लघुकथा): 25 जुलाई, 2025 आज फ़िर कबूतरों के जोड़ों ने मेरा दिल दुखाया। मेरा ही नहीं, उन…"
Jul 30
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-124 (प्रतिशोध)
"स्वागतम"
Jul 30
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

अस्थिपिंजर (लघुकविता)

लूटकर लोथड़े माँस के पीकर बूॅंद - बूॅंद रक्त डकारकर कतरा - कतरा मज्जाजब जानवर मना रहे होंगे…See More
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय सौरभ भाई , ग़ज़ल की सराहना के लिए आपका हार्दिक आभार , आपके पुनः आगमन की प्रतीक्षा में हूँ "
Jul 29

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीय लक्ष्मण भाई ग़ज़ल की सराहना  के लिए आपका हार्दिक आभार "
Jul 29
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-181
"धन्यवाद आदरणीय "
Jul 27

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service