For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
तेरे चाह में पड़ कर हमने ये क्या कर डाला ,
घर में बच्चे भूखे सो गए चल रहा हैं प्याला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

रोज कमाए रोज उड़ाये खाली हाथ घर को जाये ,
बीबी जब कुछ पूछे तो भईया जोर का चाटा खाये ,
सिलसिला यह चल रहा हैं नहीं अब रुकने वाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

दोस्तों की दोस्ती से यारो है यह शुरू होती ,
शौक से आगे बढती फिर आदत का रुप यह लेती ,
क्या बतलाऊ इसने तो जीना मुस्किल कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

सोच था इक सपना था आगे तक जाने की ,
जाने कैसे बहक गया मैं नजर लगी ज़माने की ,
सोचा था क्या मैंने और ये क्या कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

Views: 380

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 28, 2010 at 11:56pm
मदिरा पान की बुराइयों को इंगित करती..समाज में एक सुन्दर सन्देश ले जाती रचना के लिए साधुवाद!!!
Comment by Kanchan Pandey on August 28, 2010 at 5:46pm
karodo gharon ko barbad kiya hai es madira ney, achchi rachna,
Comment by Rash Bihari Ravi on August 28, 2010 at 3:05pm
एक ख़ुशी ये देता हैं भेद भाव मिटाकर ,
जाती धर्म कोई हो भईया रखता हैं मिलकर ,
कितना अच्छा काम किया ये बुरा करनेवाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
Comment by Rash Bihari Ravi on August 28, 2010 at 2:57pm
रोज रोज ये राहों में नया दोस्त बनता हैं ,
पड़ा देख कर गट्टर में कोई घर ले आता हैं ,
मोहल्ले में इज्जत को ये चवनी का कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

पाकेट में है कुछ नहीं बड़ी बड़ी बोल आती हैं ,
दो चार घुट जब ये अन्दर में चली जाती हैं ,
बड़े बड़े को ये तो कंगाल ही कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,

घर से निकला ऑफिस भाई मैं शान से ,
ऑफिस से जब घर चला बहक गया इमान से ,
दोस्तों की झुण्ड मिली और कचरा कर डाला ,
हाय रे मदिरा हाय रे - हाय रे मधुशाला ,
Comment by baban pandey on August 26, 2010 at 10:39pm
यह सही है गुरु जी ...अगर कमाने वाले ...मदिरा छोड़ दे ...तो उनकी आर्थिक शक्ति समृद्ध हो जायेगी

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on August 26, 2010 at 9:26pm
बहुत खूब गुरु जी, आप तो बातो बातो मे पूरा पोल खोल दिया है, मदिरा कितनो को यतीम और बिधवा बना दिया, गिनती करने की जरूरत नहीं, अच्छी रचना,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अशोक  भाईजी  हार्दिक बधाई स्वीकार करें इस सार्थक दोहावली के लिए| दोपहर और …"
3 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय लक्ष्मण भाईजी  हार्दिक बधाई इस सार्थक दोहावली के लिए| तन-मन ये मन  से …"
26 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अशोक जी सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति, उत्साहवर्धन और सुझाव के लिए हार्दिक आभार। अंतिम…"
31 minutes ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"दोहा छंद   ++++++ ग्रीष्म बाद ही मेघ से, रहती सबको आस| लगातार बरसात हो, मिटे धरा की…"
37 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
41 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"आपकी प्रस्तुति की प्रतीक्षा थी, शिज्जू भाई।  वैसे आज बाहर गया था। सबकी प्रस्तुतियों पर एक-एक…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"किसको लगता है भला, कुदरत का यह रूप। मगर छाँव का मोल क्या, जब ना होगी धूप।। ऊपर तपता सूर्य है, नीचे…"
4 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"वाह वाह अशोक भाई। बहुत ही उत्तम दोहे। // वृक्ष    नहीं    छाया …"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"   पीछा करते  हर  तरफ,  सदा  धूप के पाँव।   जल की प्यासी…"
7 hours ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"     दोहे * मेघाच्छादित नभ हुआ, पर मन बहुत अधीर। उमस  सहन  होती …"
7 hours ago
Nilesh Shevgaonkar commented on Nilesh Shevgaonkar's blog post ग़ज़ल नूर की - ताने बाने में उलझा है जल्दी पगला जाएगा
"धन्यवाद आ. अजय जी.आपकी दाद से हौसला बढ़ा है.  उस के हुनर पर किस को शक़ है लेकिन उस की सोचो…"
10 hours ago
अजय गुप्ता 'अजेय replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 167 in the group चित्र से काव्य तक
"बहुत उत्तम दोहे हुए हैं लक्ष्मण भाई।। प्रदत्त चित्र के आधार में छिपे विभिन्न भावों को अच्छा छाँदसिक…"
11 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service