For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

त्यागपत्र (कहानी)

त्यागपत्र (कहानी)

लेखक - सतीश मापतपुरी

-------------- अंक - 4 --------------- '

अंक 3 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

मैं कुछ समझा नहीं ..' प्रबल बाबू के माथे पर बल पड़ गए थे.  उनकी इस असहज स्थिति का लाभ उठाने में उमाकान्त जी ने कोई कसर नहीं छोड़ी. अपने सपाट से चेहरे पर कुटिल मुस्कान लाते हुए उन्होंने तत्क्षण कहा - 'यही तो मैं कहना चाह रहा हूँ. आप कुछ समझते ही नहीं.'

सिंह साहेब की उलझन और बढ़ गयी - 'जी.'  बड़े ही आत्मीय ढंग से उमाकांत जी ने कहा - 'अरे साहेब, पार्टी ने अपने चुनावी-घोषणा पत्र में जो भी वादा किया है, उसको अमली जामा पहनाने के लिए, मैं आपका मंत्री के रूप में सहयोग चाहता हूँ.'

अध्यक्ष महोदय की पैनी निगाहें लगातार सिंह साहेब के चेहरे पर आ रहे रंगों का बारीकी से निरीक्षण कर रही थीं. अचानक प्रबल बाबू ने पूछ दिया-  ' क्या यह पद ज़ुबान बंद रखने की कीमत है ?'

उमाकांत बाबू ने भी उसी लहजे में कहा - 'नहीं, ज़ुबान खोलने का पुरस्कार है .'

अध्यक्ष महोदय की बातों से प्रबल बाबू को लगा कि सचमुच प्रदेश को उनकी जरुरत आन पड़ी है. उन्होंने अपना सम्पूर्ण जीवन ही जन-कल्याण के लिए अर्पित कर दिया था. जनहित और राज्यहित के मद्देनज़र उन्होंने मंत्री-पद स्वीकार कर लिया, अन्यथा मंत्री बनने की उनकी कोई लालसा नहीं थी. प्रबल प्रताप सिंह को प्रदेश का स्वास्थ्य मंत्री बनाया गया.  उन्हें क्या पता था कि श्वेत कुरता पहनने वाले उमाकांत जी की गंजी मैली है.

प्रबल प्रताप सिंह को स्वास्थ्य मंत्री का पद सम्हाले मात्र तीन माह ही बीते थे कि उनके मंत्रित्व काल में स्वास्थ्य विभाग के कार्यों में निःसंदेह एक चुस्ती आयी तथा सरकारी अस्पतालों की दवा की बाज़ार में बिक्री  का प्रतिशत भी घटा. उन्होंने स्वयं को एक मंत्री के रूप में नहीं, जन सेवक के रूप में ढाला. उनकी छत्रछाया में कदाचार दम तोड़ने लगी और नैतिकता शैशवावस्था को छोड़कर जवानी की दहलीज़ पर कदम रखने लगी. प्रबल बाबू ने स्वस्थ प्रशासन का मानदण्ड प्रस्तुत करने के लिए एड़ी-चोटी का पसीना एक कर दिया. उनका अधिकांश समय विभागीय कार्यवाहियों में ही जाया होता.  एक दिन .................

(क्रमश:)

अंक 5 पढ़ने हेतु यहाँ क्लिक करे

Views: 489

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by satish mapatpuri on November 3, 2011 at 2:07am
नमन आदरणीय ................... आपसे गुजारिश है मेरी कहानी को अपनी नज़रों की
गिरफ्त में रखें ............ साभार

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on November 2, 2011 at 3:30pm

बहुत सही पटरी पर चल रही है कहानी.

 

उन्हें क्या पता था कि श्वेत कुरता पहनने वाले उमाकांत जी की गंजी मैली है.

इस प्रभावी पंक्ति पर मेरी अनेकानेक शुभकामनाएँ लें, सतीशबाबू. आगामी अंकों में आसन्न घात और कतरब्यौंत की सोच-सोच कर ही रोमांच हो रहा है. .. ! ..  बहुत अच्छे.  .. :-))))

 

 

Comment by satish mapatpuri on November 2, 2011 at 11:07am
ADMIN से अनुरोध है कि मेरी कहानी 'त्यागपत्र ' के सभी अंकों का लिंक बना दें क्योंकि मुझे नहीं आता है

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on Saurabh Pandey's blog post कौन क्या कहता नहीं अब कान देते // सौरभ
"प्रस्तुति को आपने अनुमोदित किया, आपका हार्दिक आभार, आदरणीय रवि…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकारें। सादर"
yesterday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय, मैं भी पारिवारिक आयोजनों के सिलसिले में प्रवास पर हूँ. और, लगातार एक स्थान से दूसरे स्थान…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय जयहिन्द रायपुरी जी, सरसी छंदा में आपकी प्रस्तुति की अंतर्धारा तार्किक है और समाज के उस तबके…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश भाईजी, आपकी प्रस्तुत रचना का बहाव प्रभावी है. फिर भी, पड़े गर्मी या फटे बादल,…"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, आपकी रचना से आयोजन आरम्भ हुआ है. इसकी पहली बधाई बनती…"
Sunday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय / आदरणीया , सपरिवार प्रातः आठ बजे भांजे के ब्याह में राजनांदगांंव प्रस्थान करना है। रात्रि…"
Sunday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छन्द ठिठुरे बचपन की मजबूरी, किसी तरह की आग बाहर लपटें जहरीली सी, भीतर भूखा नाग फिर भी नहीं…"
Saturday
Jaihind Raipuri joined Admin's group
Thumbnail

चित्र से काव्य तक

"ओ बी ओ चित्र से काव्य तक छंदोंत्सव" में भाग लेने हेतु सदस्य इस समूह को ज्वाइन कर ले |See More
Saturday
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 173 in the group चित्र से काव्य तक
"सरसी छंद +++++++++ पड़े गर्मी या फटे बादल, मानव है असहाय। ठंड बेरहम की रातों में, निर्धन हैं…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service