बोध कथा:
शब्द और अर्थ
संजीव 'सलिल'
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शब्द कोशकार ने अपना कार्य समाप्त होने पर चैन की साँस ली और कमर सीधी करने के लिये लेटा ही था कि काम करने की मेज पर कुछ हलचल सुनाई दी. वह मन मारकर उठा, देखा मेज पर शब्द समूहों में से कुछ शब्द बाहर आ गये थे. उसने पढ़ा - वे शब्द थे प्रजातंत्र, गणतंत्र, जनतंत्र और लोकतंत्र .
हैरान होते हुए कोशकार ने पूछा- ' अभी-अभी तो मैंने तुम सबको सही स्थान पर रखा था, तुम बाहर क्यों आ गये?'
' इसलिए कि तुमने हमारे जो अर्थ लिखे हैं वे सरासर ग़लत लगते हैं. एक स्वर से सबने कहा.
'एक-एक कर बोलो तो कुछ समझ सकूँ.' कोशकार ने कहा.
'प्रजातंत्र प्रजा का, प्रजा के लिये, प्रजा के द्वारा नहीं, नेताओं का, नेताओं के लिये, नेताओं के द्वारा स्थापित शासन तंत्र हो गया है' - प्रजातंत्र बोला.
गणतंत्र ने अपनी आपत्ति बतायी- ' गणतंत्र का आशय उस व्यवस्था से है जिसमें गण द्वारा अपनी रक्षा के लिये प्रशासन को दी गयी गन का प्रयोग कर प्रशासन गण का दमन जन प्रतिनिधियों कि सहमती से करते हों.'
' जनतंत्र वह प्रणाली है जिसमें जनमत की अवहेलना करनेवाले जनप्रतिनिधि और जनगण की सेवा के लिये नियुक्त जनसेवक मिलकर जनगण की छाती पर दाल दलना अपना संविधान सम्मत अधिकार मानते हैं. '- जनतंत्र ने कहा.
लोकतत्र ने अपनी चुप्पी तोड़ते हुए बताया- 'लोकतंत्र में लोक तो क्या लोकनायक की भी उपेक्षा होती है. दुनिया के दो सबसे बड़ा लोकतंत्रों में से एक अपने हित की नीतियाँ बलात अन्य देशों पर थोपता है तो दूसरे की संसद में राजनैतिक दल शत्रु देश की तुलना में अन्य दल को अधिक नुकसानदायक मानकर आचरण करते हैं.' - लोकतंत्र की राय सुनकर कोशकार स्तब्ध रह गया.
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Comment
आदरणीय, आपकी लघुकथा की अंतर्धारा तो एकदम से बहा ले गयी.. .बधाइयाँ !
चल पड़ी है बात शब्दों की, दिखे पर छंद बदले
शब्द औंधे आ गिरे, दुश्वारियों ने गंध बदले
हो गये संदर्भ उकडूँ इंगितों के बोझ ही से
भाव बदले, अर्थ बदले, आज के सम्बंध बदले.. .
वाह... वाह...
आपकी गुणग्राहकता को नमन.
तिलक सच का कर न पाये, झूठ ने प्रतिबंध बदले.
फूल को तज शूल को वर, भ्रमर ने निज कंध बदले..
समय है गान्धारियों का, मिली कुर्सी अंध बदले.
'सलिल' कलियों से कहो, कोई नहीं अब गंध बदले..
आचार्य जी की कलम को प्रणाम। अब तो कुछ ऐसा आलम है कि:
तोड़ मर्यादा नदी ने जब कभी तटबंध बदले
कल तलक जो नीतिगत थे वो सभी अनुबंध बदले।
मूल्य में आई गिरावट इस तरह कि आदमी ने
शब्द बदले, अर्थ बदले, औ सभी सम्बंध बदले।
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