घर शिफ्टिंग के दौरान एक पुरानी diary हाथ लगी और गर्द झाड़ी तो यह रचना नमूदार हुई. इस पर तारीख अंकित थी 12-8-1999...मैने सोचा कच्ची उम्र और कच्ची सोच की यह रचना के सुधि पाठकों की नज़र की जाए.
तुम्हारी जो ख़बर हमें है
वो किसी और के पास कहाँ
देख लेता हूँ कहकहों में भी
आंसू के कतरे
ऐसी नजर किसी और के पास कहाँ
ज़माने ने ठोकरें दी पत्थर समझकर
तुने मुझे सहेज लिया मूरत समझकर
होगी अब हमारी गुजर
किसी और के पास कहाँ
उम्र भर देख लिया
बियाबान में भटक कर
हासिल हुआ कुछ नहीं
दुनिया में अटककर
तूने की जैसी कदर
किसी और के पास कहाँ
रास्ता दिखा दिया तुने
मेरे भटकाव को
साहिल पे ला दिया
थपेडों से नाव को
मुझ पर जितना तेरा असर
किसी और के पास कहाँ
दुष्यंत .......
Comment
siya ji....apko yah tutlati kalam se nikli rachna bhi achchi lagi iske liye abhar ...halanki isme sudhar ki jo gunjaish hai use bhi ingit karen taaki is manch ki garima anusar ise dhaal saken...
adarneey bagi jee....koshish karunga....vaise ek baat aur batau ki ye rachna us samay ki hai jab shilp, bhaav aur kavya ke niyam aadi astitva me bhi hain iski bhi jankari mujhe nahi thi... :)....baharhaal jab se inka astitva jaana hai tb se inhe apnakar sanvarne ki koshish kar raha huun. :) apko yah angadh prayas pasand aaya is hetu hardik aabhar...
भाई दुष्यंत जी, यह रचना आपने भले ही खेलने कूदने के दिनों में रचे हो, किन्तु इस रचना का भाव बहुत ही बढ़िया है, अभी जरा सा अनगढ़ जैसा लग रहा है किन्तु आप यदि गढ़ना चाहे तो अभी भी इसे गढ़ सकते है और चमक और भी ला सकते है | बधाई स्वीकार करे इस रचना पर |
behtareen rachna dushyant ji..khoobsurat alfaaz..umda
pahli pratikriya ke liye hardik dhanyvaad kailash ji.
ज़माने ने ठोकरें दी पत्थर समझकर
तुने मुझे सहेज लिया मूरत समझकर
होगी अब हमारी गुजर
किसी और के पास कहाँ
.....बहुत खूब ! बहुत सुन्दर भावाभिव्यक्ति....
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online