मैं हिफाज़त से तेरा दर्दो अलम रखती हूँ
और खुशी मान के दिल में तेरा ग़म रखती हूँ।
मुस्कुरा देती हूँ जब सामने आता है कोई
इस तरह तेरी जफ़ाओं का भरम रखती हूँ।
हारना मैं ने नहीं सीखा कभी मुश्किल से
मुश्किलों आओ दिखादूं मैं जो दम रखती हूँ।
मुस्कुराते हुए जाती हूँ हर इक महफ़िल में
आँख को सिर्फ़ मैं तन्हाई में नम रखती हूँ
है तेरा प्यार इबादत मेरी पूजा मेरी
नाम ले केर तेरा मंदिर में क़दम रखती हूँ।
दोस्तों से न गिला है न शिकायत है "सिया"
क्यों के मैं अपनों से उम्मीद ही कम रखती हूँ!
Comment
हारना मैं ने नहीं सीखा कभी मुश्किल से
मुश्किलों आओ दिखादूं मैं जो दम रखती हूँ।
मुस्कुराते हुए जाती हूँ हर इक महफ़िल में
आँख को सिर्फ़ मैं तन्हाई में नम रखती हूँ
है तेरा प्यार इबादत मेरी पूजा मेरी
नाम ले केर तेरा मंदिर में क़दम रखती हूँ।
दोस्तों से न गिला है न शिकायत है "सिया"
क्यों के मैं अपनों से उम्मीद ही कम रखती हूँ! bahut hi uttam
मुस्कुरा देती हूँ जब सामने आता है कोई
इस तरह तेरी जफ़ाओं का भरम रखती हूँ।
.....बहुत लाज़वाब गज़ल..हरेक शेर दिल को छू जाता है.
janab Dushyant Sewak ji .zarraanawaazi aur hauslaa afzaai ka bahut bahut shukriya...salamt rahe
mohinichordia sahiba...aapne pasand farmaya uske liye teh-e-dil se shukriya ada karti hoon.salamati ho
Brij bhushan choubey ji..tahe dil se shukriyaa adaa kiyaa.aapko aap ,isse aap qubool farmaaen.shukriyaa...salamati ho
Anwesha Anjushree ji....bahut shukraguzaar hun main aapke iss pyaare se comment ke liye..rab raaka
shanno agarwal sahiba..aapne pasand farmaya meri kahi ghazal ko uske liyeteh-e-dil se shukriya ada karti hoon.
dr shri krishan narang saheb .zarraanawaazi aur hauslaa afzaai ka bahut bahut shukriya...salamt rahe
Muskrate hue jaati hun... bahut hi umda aur saade alfaaz main bahut sunder gazal bani hai, Siyaji. Bahut bahut badhai. Aasha hai aage bhi aap ki kalm aise hi chalti rahegi. Wah! Wah!
Dr. Shri Krishan Narang
Jamshedpur
बहुत खूबसूरत गजल लिखी है आपने सिया. बधाई.
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