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जिसे सच्चा प्यार मिल गया समझो उसका जीना सफल हो गया...........

इंसान एक बार जीता है, एक बार मरता है और एक बार ही प्यार करता है...
जिंदगी में इंसान को कई बार प्यार हो सकता है। यह बात दूसरी है कि पहला प्यार कोई भुला नहीं पाता। लेकिन सच्चा प्यार बड़ी ही मुश्किल से किसी को नसीब होता है...आज की हाईटेक लाइफस्टाइल में प्यार की परिभाषा बदल गई है...प्यार भी हाईटेक हो गया है...लोग प्यार कई चीजें देखकर करने लगे हैं...मसलन जेब...सैलरी...लाइफस्टाइल...और इन सबसे बढ़कर ये मायने रखता है कि आप सामनेवाले से ज्यादा हाईप्रोफाइल हैं या नहीं...साथ ही उनके जैसी समतुल्यता (equilibrium) रखते हैं या नहीं...आज प्यार ने अपनी परिपक्वता (puberty) को हासिल कर लिया है...

आज तक किसी ने प्यार की सटीक परिभाषा नहीं दी है...प्यार को किसी एक परिभाषा में बांध कर भी नहीं रखा जा सकता...प्यार की परिभाषा में समय-समय पर बदलाव आते रहे हैं...प्यार में कभी राधा कृष्ण का उदाहरण दिया जाता है...कभी हीर रांझे का...तो कभी लैला मजनू का...लेकिन आज के ज़माने में कहां हीर रांझे का प्यार...कहां जीने मरने की कसमें खानेवाले...प्यार में काभी बदलाव आ गया है...प्यार करने के तरीके में बदलाव आ गया है...पहले प्यार करने वाले एक दूसरे को मिलने को...उसकी एक झलक पाने को बेताब रहते थे...एक दूसरे की शक्ल देखने को तरस जाया करते थे...जिससे प्यार होता था उसके घर के चक्कर लगाया करते थे...लेकिन आज किसके पास इतना वक्त है...आज सभी अपने अपने काम में व्यस्त हैं...और 'तू नहीं तो कोई और सही' की तर्ज पर कोई तीसरे की तुरंत तलाश कर लेते हैं...अब फोन पर नेट कनेक्शन उपलब्ध हैं...वहीं नेट के विडियो कॉन्फ्रेंसिग ने दूरियां भी मिटा दी है...फोन ने लोगों को काफी राहत दी है...और दूरसंचार कंपनियों ने लोगों को घंटो बात करने की सुविधा उपलब्ध करा दी है...जिससे लोग हर समय फोन से चिपके नज़र आते हैं...आज के समय में जिसके पास फोन नहीं आता वो खुद को व्यस्त करने के नए नए हथकंडे अपना लेते हैं...देखा जाए तो आजकल की लड़कियां बिना एक भी ब्यॉफ्रेंड के नहीं रह सकतीं...खासकर कॉलेज गोइंग गर्ल्स में तो ब्यॉफ्रेंड बनाने का क्रेज काफी फेमस है...वैसे सही भी है...लड़कियां ब्यॉफ्रेंड बनाकर ख़ुद को सुरक्षित महसूस करतीं हैं...एक लड़का हर वक्त उसकी ख़ैरियत पूछता है...उसका ख़्याल रखता है...इसमें बुरा भी क्या है...आजकल लड़के-लड़कियां बिना एक ख़ास फ्रेंड के जिना बेकार का जीना समझते हैं...

जब पहला-पहला प्यार होता है तो लड़कियां अपनी खूबसूरती को लेकर काफी सतर्क हो जाती हैं...वो ब्यूटी पार्लरों के चक्कर लगाने लगती हैं...तो वहीं लड़के अपने आप को जिम में व्यस्त कर लेते हैं...उनको अपनी पर्सनेलिटी की फिक्र होने लगती है...उसके बाद बारी आती है बाइक्स के क्रेज़ की...वैसे भी लड़कियों को इम्प्रैस करने में गाड़ियां काफी महत्वपूर्ण स्थान रखतीं है...धीरे-धीरे प्यार गहराने लगता है...लेकिन ये प्यार परवान कम ही चढ़ पाता है...

आज के समय में प्यार की परिभाषा बदल गई है...लोग प्यार को ज्यादा तरज़ीह नहीं देते...आज आपका जॉब ज्यादा मायने रखता है...ऐसा नहीं है कि प्यार करने वाले ख़त्म हो गए हैं...बल्कि प्यार में बचकानी हरकतों को छोड़ लोग अब गहन चिंतन के बाद ही कदम बढ़ाते हैं...हर तरह से नाप-तौल कर पूरी तरह खरा उतरने के बाद ही प्यार करते हैं...लड़कियां भले ही इनमें जल्दबाजी कर बैठे...लेकिन लड़के काफी सोच समझकर कोई फैसला लेते हैं...लड़कियां आज भी प्यार करने में दिल का इस्तेमाल करती हैं जबकि लड़के दिल का नहीं दिमाग का इस्तेमाल करते हैं...लड़कियां बहुत जल्दी जज्बाती हो जाती हैं...लेकिन लड़कों का दिल इस मामले में थोड़ा मज़बूत होता है...हम ये भी नहीं कह सकते कि लड़के सच्चा प्यार नहीं करते...लड़कों को भी कभी-कभी ही सही लेकिन किसी न किसी से सच्चा प्यार ज़रूर होता है...कहते हैं वो जवानी ही क्या जिसकी कोई कहानी न हो...सच ही तो है...एक लड़का अगर किसी से सच्चा प्यार कर बैठे तो उसे भी अपने प्यार को ख़ोने का उतना ही ग़म सताता है जितना एक लड़की अपने प्यार को खोने पर मातम मनाती है...लेकिन ऐसी परिस्थिति लड़कों के साथ कम ही आती है...
हां एक बात और प्यार उसी से करे जो आपसे प्यार करे...प्यार उससे कभी नहीं करनी चाहिए जो आपको पसंद ही नहीं करता हो...उसके पीछे भागने से कोई फायदा नहीं...उसे भूल जाना ही बेहतर होता है लेकिन अगर आप किसी से सच्चा प्यार करते हैं तो अपने प्यार को पाने की खातिर थोड़ा झुकना बेहत होगा...आपको इससे पीछे नहीं हटना चाहिए...किसी के सामने झुकने में कोई बुराई नहीं है...लेकिन उतना ही झुके जितना कि आप झुक सकते हैं...कहीं ये झुकाव इतना न हो जाए की आप टूट जाए......................



1) दिल के दर्द को दिल तोड़ने वाले क्या जाने,
प्यार कि रश्मो के ये ज़माने वाले क्या जाने,
होती है कितनी तकलीफ कब्र के नीचे,
ये ऊपर से फूल चड़ने वाले क्या जाने.

2) हर खामोशी का मतलब इनकार नही होता,
हर नाकामयाबी का मतलब हार नही होता.
तो क्या हुआ अगर हम तुम्हे न पा सके,
सिर्फ़ पाने का मतलब प्यार नहीं होता.

3) हर फूल कि अजब कहानी है,
चुप रहना भी प्यार कि निशानी है,
कही कोई ज़ख्म नही फिर भी क्यूँ ये एहसास है,
लगता है दिल का एक टुकडा अज भी उस के पास है .
9) साथ तो मांगने से मिल सकता है
लेकिन प्यार मांगने से नही मिलता
क्योंकि प्यार किया नही जाता
प्यार तो हो जाता दिल से दिल को जब कोई प्यारा लगता है

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on September 6, 2010 at 9:45pm
बहुत सुन्दर लेख| प्रेम की बदलती परिभाषा का अच्छा वर्णन किया है|

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on April 7, 2010 at 7:46am
रतनेश भाई आप तो सही मे धमाका कर दिया है जबरदस्त ब्लॉग पोस्ट किया है, बहुत बढ़िया लेख है खाश तौर पर युवा वर्ग के लिये, मुझे तो आप द्वारा लगाया गया गुलाब के 3 फूल बहुत पसंद आया दिल करता है की निहारता रहू , ये तीन फूल देख कर मुझे पति पत्नी और वो याद आ रही है हा हा हा हा हा हा
Comment by Ratnesh Raman Pathak on April 6, 2010 at 10:13pm
प्यार की पाँच ज़रूरी बातें

1. अपने रिश्ते को समझें
प्यार की पहली नजर को हर किसी ने अनुभव किया होगा, ये एक ऐसा अनुभव है जब आपके लिए आपका साथी पहली प्राथमिकता होता है, ऐसे में आपसे मिलने के लिए वक्त से पहले पहुँचना और घंटों इंतजार करना प्रेम रूपी तपस्या का ही एक हिस्सा होता है। वक्त बितने पर जब सामंजस्य बढ़ जाता है तब ये उम्मीद कम कर देना चाहिए कि एक प्रेम पत्र के साथ वो रोज सुबह फूलों का गुलदस्ता आपके दरवाजे पर रख कर जाएगा, या फिर पहले की तरह सुबह शाम फोन पर घंटों बातें किया करेगा। वह दो-तीन दिनों तक आपको फोन ना कर पाए, तो आपको अपनी नाराजगी दिखाते समय यह नहीं भूलना चाहिए कि जिस तरह उसके किसी व्यवहार से आपको दुख पहुँचता है, उसी तरह आपकी भी कुछ बातें उसकी भावनाओं को ठेस पहुँचा सकती हैं।

2. भावनाएँ शब्दों की मोहताज नहीं
तारीफ सुनना हर व्यक्ति को अच्छा लगता है, लेकिन नारी जैसी निर्मलता पुरुषों में कम होती है। हो सकता हैं वो आपकी उम्मीद पर पूरी तरह नहीं उतर पाए, या अपनी भावनाओं को शब्दों में ना ढाल पाए। आपके किसी तोहफे पर धन्यवाद जैसे औपचारिक शब्दो की उम्मीद रखने की बजाय उसकी आँखों में उतर आई प्रसन्नता को देखने की कोशिश करें।


ND ND
3. अलग होती हैं लड़कों की अपेक्षाएँ
प्रेम को तो ऋषि मुनियों ने भी पवित्र माना है, दैहिक आकर्षण तो एक प्राकृतिक लक्षण हैं जिससे कोई भी परे नहीं रह पाया है, हमारे समाज में कुछ नियमों को संस्कार का रूप दिया है जिसे कई बार युवा वर्ग अपनाने से मना कर देते हैं इसका मतलब ये नहीं को वो सिर्फ आपसे शारीरिक आकर्षण से जुडा है यदि आप इन नियमों का पालन करना चाहती हैं तो आप पर निर्भर करता है कि नाराज होने या उसका तिरस्कार करने की बजाय प्रेम से समझा पाती हैं या नहीं, दैहिक संबंध से परे एक और चीज बहुत महत्वपूर्ण होती है वो है स्पर्श जो उसे प्रियतमा के दैहिक आकर्षण से परे अपनत्व का एहसास दिलाएगा।

4. माँ, पत्नी, बहन या प्रेयसी, हर रूप में नारी हैं एक सी
ऐसे ही कुछ विचार होते हैं पुरुषों के, चाहे वो पत्नी हो या प्रेमिका वो उसमें हर रूप को खोजने की कोशिश करता है। आप अपने हर रूप को उसके सामने कितना साकार कर पाते हो ये आप पर निर्भर करता है। उसकी छोटी- छोटी जरूरतों को पूरा कर, निराशा के समय में हिम्मत दिलाकर, खुशी के पलों की सहभागिता बन आप नारी के हर रूप को साकार कर सकती हैं।

5. नाराजगी जल्दी जाहिर ना करें
लड़कियाँ अपनी सारी भावनाएँ दूसरों के सामने बड़ी सहजता से जाहिर कर देती हैं। अगर उन्हें किसी बात से नाराजगी भी होती है तो वे उसे सबके सामने जाहिर कर देती हैं। लड़के इस मामले में काफी धैर्यवान और गंभीर होते हैं। लड़कों में छोटी-छोटी बातों को लेकर बेवजह बहस या रोक-टोक करने की प्रवृत्ति नहीं पाई जाती है। कई बार ऐसा भी होता है कि किसी छोटी-सी बात पर या बेवजह भी लड़कों को बहुत तेज गुस्सा आता है और ऐसी स्थिति में आपसी संबंधों में दरार पड़ने तक की नौबत आ जाती है।

अगर आप दोनों के संबंधों में कभी ऐसी स्थिति आए तो उसे सुधारने के मामले में आपकी जिम्मेदारी बढ़ जाती है। इसलिए जिस समय आपके साथी को गुस्सा आ रहा हो तो उस वक्त आप उसे कुछ न कहें। बाद में जब उसका गुस्सा शांत हो जाए तब आप उसे प्यार से समझाएँ कि उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। लड़के अपने बारे में खुद कुछ भी बताने के बजाय अपनी साथी से यही उम्मीद रखते हैं कि वह खुद ही लड़के की मनःस्थिति और उसकी पसंद या नापसंद के बारे में स्वयं समझकर हमेशा उसी के अनुकूल व्यवहार करे। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप अपने साथी को नाराज होने का मौका नहीं न दें।

इस तरह अगर आप अपने साथी को समझने की कोशिश करेंगी तो निश्चित रूप से आपके संबंध मधुर बने रहेंगे
Comment by PREETAM TIWARY(PREET) on April 6, 2010 at 9:24pm
waah ratnesh jee kya baat hai.....ekdam lajawab..........
aap 6 din baad laute aur dhamaka kar diye jawab nahi hai aapka.......
ek shayari mere taraf se bhi>>>>>>>>>>>>>>>>
ES TARAH PYAR KA IJHAAR NAHI HOTA,
JO DO KADAM SAATH NAA CHALE WO YAAR NAHI HOTA,
PYAR KARNE WALE TO KAATON PE CHALTE HAIN
JO AAYE SHOLE TO SHOLO ME JALTE HAIN,
KYU TUJHE MERE PYAR PAR AITBAAR NAHI HOTA,
AGAR DILON ME PYAR NAHI HOTA
TO YE DUNIYA NAA HOTI AUR YE SANSAAR NAHI HOTA....
Comment by Raju on April 6, 2010 at 7:50pm
bahut sahi kaha aapne "PYAR KO PARIBHASA ME NAHI BAANDH SAKTE"
aaj ta pyar ke paribhasa badal gayel ba.............

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