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होती है सुबह,ओर ढलती है मेरी शाम बस तेरा नाम ले लेकर
करने लगा शुरू मे आज कल हर काम बस तेरा नाम लेकर

कोई पीता है खुशी मे, किसी को गम, पीना सीखा देता यहाँ
मैने पीया है अपनी ज़िंदगी का हर जाम बस तेरा नाम लेकर

कोई करता है तीरथ यहाँ तो कोई जाता है मक्का ओर मदीना
हो गये पूरे इस जीवन के मेरे सारे धाम बस तेरा नाम लेकर

कोई भागता है दौलत के पीछे तो कोई शोहरत का दीवाना यहाँ
मुझे मिल जाती जहाँ की खुशियाँ तमाम बस तेरा नाम लेकर

किसी को जन्नत चाहिए यहाँ तो कोई गंगाजल की है आस लिए
मैं चाहूं मिले मेरी जिंदगी को हँसी अंजाम बस तेरा नाम लेकर

कल तक कौन जानता था मुझे दीवानो से भारी इस महफ़िल मे
आज हो गया है पल्लव का भी यहाँ नाम बस तेरा नाम लेकर

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Comment by Pallav Pancholi on August 7, 2010 at 3:47pm
aap sabhi ki prashansa hetu bahut bahut dhanywaaad... in dino kuch kaamo me vyast hone ki wajah se reply na kar saka.......... khasma chahunga.... aap sabhi ka sneh or sahyog bana rahe
Comment by Kanchan Pandey on August 2, 2010 at 9:19pm
bahut badhiya pallav jee ,mainey aap ki rachna pahley bhi padhi hai, aap achha likhtey hai, aisey hi likhtey rahey ,achha kar rahey hai ,thx

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on August 1, 2010 at 9:06am
पल्लव जी आपके खयाल बेहतरीन है.
आप बहुत अच्छी गज़ले कह रहे है....
कुछ सुझाव है पसंद आये तो रखे अन्यथा उड़ा दे.
ग़ज़ल में कुछ प्रचलित बहरें होती है जिन पर शायर अपना कलाम कहते है
कुछ उसे गाते हुए कहते है तो कुछ केवल पढ़ते हुए.....गाने पर उसे तरन्नुम में कहा जाता है और पढ़ाने पर तहत में...तहत में ग़ज़ल को कहना ज्यादा प्रभावशाली होता है बशर्ते शायर की आवाज़ बुलंद हो. इसका कदापि यह अर्थ नहीं लगाना चाहिए की तहत में ग़ज़ल को कहने से वह बहर से मुक्त हो जाती है... तहत में कहने में भी एक गेयता होती है और उसे तरन्नुम में भी कहा जा सकता है.
ग़ज़ल को पेश करने से पहले उसे बहर की कसौटी पर बार बार कसे

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on July 31, 2010 at 1:24pm
कोई भागता है दौलत के पीछे तो कोई शोहरत का दीवाना यहाँ
मुझे मिल जाती जहाँ की खुशियाँ तमाम बस तेरा नाम लेकर
बढ़िया है पल्लव जी , बहुत दिन बाद आपकी रचना आई है पर सोलिड दिया है बहुत बढ़िया ,

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