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हरा-केसरिया, श्वेत रंग का, तिरंगा झड़ा कहलाता है

हरियाली-साहस, सत्य दर्शाता

प्रतीक-एकता, अखंडता का बन जाता है॥

 

राम-कृष्ण-बुध जन्मे जहाँ पर, मन उस पवित्र भूमि को शीश नवाता है

आन-बान-शान भारत देश की

हर भारतीय की जान कहलाता है॥

 

सभी भाषाओं की जन्मधात्री, संस्कृत, जो सबसे पुरानी भाषा है

विभिन्न उत्कृष्ट संस्कार-संस्कृति की पवित्र भूमि

जहाँ इंसान, मोक्ष-शांति-ज्ञान का मार्ग अपनाता है॥

 

अशोक-पृथ्वी जैसे धरती पुत्र, जहाँ, राणा-शिवाजी यौद्धा है

मातृभूमि के लिए तैयार हमेशा

उनकी, जो देशभक्ति दिखलाता है॥

 

लक्ष्मी, दुर्गावती-सी वीरांगना जन्मी, जिनके, धरा का कण-कण बहादुरी के गीत सुनाता है

पन्ना-ऊदा के त्याग के किस्से

रोज इतिहास यहाँ दोहराता है॥

 

गाँधी-नेहरू की संघर्षशीलता, उनका अहिंसा, सत्य धर्म बतलाता है

सुभाष-भगत की देशभक्ति का जज्बा

रगो में लहू बनकर बहता है॥

 

चाणक्य-अम्बेड़कर से ज्ञानी जहाँ रहे, ज्ञान को जिनके जग भी शीश झुकाता है

पटेल-अब्दुल कलाम का शानी न कोई

जिन्हें हर जन आदर्श अपना कहता है॥

 

गंगा-यमुना-सी नदियाँ बहती, जिन्हें जन-जन देवी मानकर धाता है

धरती का स्वर्ग कश्मीर कहलाता

रक्षक बन, उत्तर में हिमालय पहरा देता है॥

 

योग, जीरो का जन्मदाता जो, तिरंगा उस भारत की महिमा गाता है

धर्मचक्र के साथ लहराता

भारत की शान बढ़ाता है॥

स्वरचित व मौलिक रचना 

फूल सिंह, दिल्ली 

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