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यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया [सरिता भाटिया]

जाने वाला साल सब सुख चैन ले गया
नयनों में है नीर दिल में दर्द दे गया /


क्या मनाएं साल उस बिन अब लगे न दिल
एक झटके में सभी अरमान ले गया /


मुस्कराएँ हम क्या तेरे बिन ओ साथी अब
खुशिओ का तू सारा ही सामान ले गया /


उसकी हर आहट का होता है मुझे गुमाँ
खुद को समझायें क्या वो संसार से गया /


याद आती उसकी है अब रात रात भर
यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया /


काटना है अब अकेले उस बिना सफ़र
जिन्दगी भर का गमे पैगाम दे गया /

मौलिक व् अप्रकाशित......

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Comment by विजय मिश्र on January 9, 2014 at 5:54pm
करुणा के भावों से ओतप्रोत एक प्रभावी रचना के लिए साधुवाद सरिता दीदी
Comment by Meena Pathak on January 9, 2014 at 12:53pm

 आप की रचना के भाव दिल को छू गये सरिता जी .. वेदनापूर्ण रचना हेतु बधाई आप को | सादर 

Comment by अरुन 'अनन्त' on January 9, 2014 at 11:50am

आदरणीया सरिता जी बेहद मार्मिक अभिव्यक्ति पढ़कर बस मौन हूँ.

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 9:13am

शुक्रिया जितेन्द्र जी 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 9:12am

शुक्रिया अविनाश जी 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 9:12am

आदरणीय अरुण जी मार्गदर्शक बनें रहें ,शुक्रिया 

Comment by Sarita Bhatia on January 8, 2014 at 9:11am

आदरणीय शिज्जू जी शुक्रिया 

Comment by जितेन्द्र पस्टारिया on January 8, 2014 at 12:42am

वेदना से भरी यादों को सुंदर भाव मिले, बधाई स्वीकारें आदरणीया सरिता जी

Comment by AVINASH S BAGDE on January 7, 2014 at 10:54pm

यादों का वो इक सफ़र है नाम दे गया /...खूबसूरत रचना 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on January 7, 2014 at 10:02pm

मार्मिक अभिव्यक्ति................सादर..............

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