For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

ग़ज़ल - दोपहरी में छाँव लिखूं

ग़ज़ल –


2222  2112

दोपहरी में छाँव लिखूं ,
जब भी अपना गाँव लिखूं |

जन्नत की जब बात चले ,
अपनी माँ के पांव लिखूं |

पांचाली की पीर बढ़ी ,
दुर्योधन के दांव लिखूं |

दिल दिल्ली से टूटा है,
खुल के अब डुमरांव लिखूं |

सड़कों पर विश्राम नहीं ,
पगडण्डी की ठांव लिखूं |

 

 

* सर्वथा मौलिक और अप्रकाशित ।

Views: 886

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:49am

आदरणीय श्री अरुन शर्मा 'अनन्त' जी बहुत शुक्रिया भाई जी स्नेह बनाये रखें !!

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:48am

आदरणीया महिमा श्री जी आपके अनुमोदन से हार्दिक ख़ुशी हुई , दिली शुक्रिया आपको !!

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:47am

आदरणीय श्री राणा जी , आप जैसे सुधी - विद्वान् - तेवरदार शायर ने टिप्पणी की मन प्रफुल्लित है :-) हार्दिक आभार आपका !! स्नेह और ज्ञान - दान मिलता रहे यही कामना है !!

Comment by Abhinav Arun on October 7, 2013 at 6:44am

 डॉ. अनुराग सैनी जी आपका हार्दिक आभार आदरणीय !


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by अरुण कुमार निगम on October 7, 2013 at 1:19am

आपको पढ़ने सुनने में अमृत-पान का सुख मिलता है. आदरणीय अभिनव जी, हम तो बस तृप्त हो गये भाई.............

Comment by अरुन 'अनन्त' on October 6, 2013 at 10:28pm

लाजवाब लाजवाब ग़ज़ल वाह क्या कहने अति सुन्दर बहुत ही बढ़िया आदरणीय दिली दाद कुबूल फरमाएं.

Comment by MAHIMA SHREE on October 6, 2013 at 6:19pm

जन्नत की जब बात चले ,
अपनी माँ के पांव लिखूं .. क्या बात है ... जुबान पे चढ़ गया ......

 

सड़कों पर विश्राम नहीं ,
पगडण्डी की ठांव लिखूं |....वाह बहुत ही सुंदर .. शानदार . गज़ल आदरणीय अभिनव जी ..हार्दिक बधाई स्वीकार करें ....

 

 


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Rana Pratap Singh on October 6, 2013 at 4:33pm

दिल दिल्ली से टूटा है,
खुल के अब डुमरांव लिखूं |

..क्या बात है........लाजवाब शेर

सुन्दर ग़ज़ल के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें आदरणीय| डुमराव का बहुत सुन्दर प्रयोग स्वर्गीय कैलाश गौतम जी ने भी  अपने एक गीत में भी किया है|

Comment by डॉ. अनुराग सैनी on October 6, 2013 at 3:47pm

आहा मजा आ गया क्या खूब कहा  है !

हार्दिक बधाई !

Comment by Abhinav Arun on October 6, 2013 at 3:02pm

हार्दिक आभार आदरणीय श्री गिरिराज जी अनुमोदन प्राप्त कर ग़ज़ल ..और भी खिल उठी है :-) 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"उस दफ़्तर में ये अविनाश है कौन? यह संकेत स्पष्ट नहीं हो सका। चपरासी है या बाबू? स्नेहा तो…"
5 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"कारण (लघुकथा): सरकारी स्कूल की सातवीं कक्षा में विद्यार्थी नये शिक्षक द्वारा ब्लैकबोर्ड पर लिखे…"
6 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"सादर नमस्कार आदरणीय। 'डेलिवरी बॉय' के ज़रिए पिता -पुत्र और बुज़ुर्ग विमर्श की मार्मिक…"
7 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदाब। लघु आकार की मारक क्षमता वाली लघुकथा से गोष्ठी का आग़ाज़ करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन…"
7 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"डिलेवरी बॉय  मई महीने की सूखी गर्मी से दिन तप गया था। इतने सारे खाने के पैकेट लेकर तीसरे माले…"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"आदरणीय मनन कुमार सिंह जी प्रदत्त विषय अनुरूप बहुत बढ़िया लघुकथा हुई है। यह लघुकथा पाठक को गहरे…"
11 hours ago
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"पहचान'मैं सुमन हूँ।' पहले ने बतया। '.........?''मैं करीम।' दूसरे का…"
11 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-126 (पहचान)
"स्वागतम"
18 hours ago
Nilesh Shevgaonkar joined Admin's group
Thumbnail

सुझाव एवं शिकायत

Open Books से सम्बंधित किसी प्रकार का सुझाव या शिकायत यहाँ लिख सकते है , आप के सुझाव और शिकायत पर…See More
18 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post लौटा सफ़र से आज ही, अपना ज़मीर है -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार। विलम्ब से उत्तर के लिए…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा दशम्. . . . . गुरु
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। अच्छे दोहे हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on धर्मेन्द्र कुमार सिंह's blog post देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)
"आ. भाई धर्मेंद्र जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service