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गुरु चरणों में समर्पित दोहावली........ डॉ० प्राची

सद्गुरु मणि अनमोल है, जीवन दे चमकाय 

पारस तो कुंदन करे, गुरु पारस कर जाय //१//

गुरु बंधन से मुक्त कर, ब्रह्म मार्ग दिखलाय

छद्म समझिए रूप वह, जो बंधन जकड़ाय //२//

गुरु की कृपा अनंत है, गुरु का प्रेम अथाह 

श्रद्धानत जो मन हुआ, तद्क्षण पाई राह //३// 

भटका गुरु-गुरु खोजता, गुरु मिलया नहिं कोय 

ज्ञान पिपासा जब जगी, प्रकट स्वतः गुरु होय //४//

गुरु का आदि न अंत है, गुरु नहिं केवल गात्र 

एक अनश्वर सत्व है, पाए बस सद्पात्र //५//

मौलिक और अप्रकाशित 

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Comment by annapurna bajpai on September 5, 2013 at 7:22pm

भटका गुरु-गुरु खोजता, गुरु मिलया नहिं कोय 

ज्ञान पिपासा जब जगी, प्रकट स्वतः गुरु होय //४// ................................... बिलकुल सही कहा आ0 प्राची जी जब ज्ञान पिपासा                                                                                                     जागी तभी गुरु भी खुद ब खुद मिल जाते है । जैसे                                                                                                      मुझे आप एवं अन्य विद्वत जनों का साथ मिला 

गुरु का आदि न अंत है, गुरु नहिं केवल गात्र 

एक अनश्वर सत्व है, पाए बस सद्पात्र //५// ............................................... पता नहीं मै सद्पात्र हूँ या नहीं परंतु गुरु मुझे                                                                                                                 सही मिले है । 

आ0 प्राची जी हार्दिक बधाई स्वीकारें इस सुंदर रचना हेतु । 

Comment by Dr Ashutosh Vajpeyee on September 5, 2013 at 7:00pm

चमकाय जाय दिखलाय जकड़ाय कोय होय ये शब्द अवधी के हैं इसलिए खड़ी बोली के साथ प्रयोग दोषपूर्ण माना जाता है प्राची जी......वैसे उत्कृष्ट भावों के लिए नमन आपकी लेखनी को 

Comment by Vindu Babu on September 5, 2013 at 6:53pm
आदरणीया प्राची जी गुरु चरणों में समर्पित आपकी यह भावपूर्ण दोहावली आपकी अगाध श्रद्धा की द्योतक है।
शिक्षक दिवस की आपको भी ढेरों शुभकामनाएं।
सादर
Comment by Shyam Narain Verma on September 5, 2013 at 4:24pm

 इस प्रस्तुति हेतु बहुत-बहुत बधाई व शुभकामनाएँ....

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on September 5, 2013 at 4:15pm

गुरु रवि के चरणों  पड़े,  सिद्ध बने  हनुमान,

रामभक्त को मिल गयी,मणि अनमोल महान |

बहुत सुन्दर और सार्थक दोहे शिक्षक दिवस पर | शिक्षक दिवस पर हार्दिक शुभकामनाए आदरणीया डॉ प्राची सिंह जी 

Comment by Sarita Bhatia on September 5, 2013 at 4:12pm

भटका गुरु-गुरु खोजता, गुरु मिलया नहिं कोय 

ज्ञान पिपासा जब जगी, प्रकट स्वतः गुरु होय //४//

वाह वाह वाकई सही कहा प्राची जी 

सुंदर दोहावली 

Comment by रविकर on September 5, 2013 at 3:52pm

भटका गुरु-गुरु खोजता, गुरु मिलया नहिं कोय 

ज्ञान पिपासा जब जगी, प्रकट स्वतः गुरु होय //४//

वाह वाह वाह-
शुभकामनायें आदरेया 

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on September 5, 2013 at 2:59pm
आदरणीया प्राची जी , गुरु सम्रर्पित दोहे सच मुच अनमोल रचे आपने !! बधाई !!

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