For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"क्या ये खबर सही है कि एकाध दिन में दंगे शुरू होने वाले हैं ?"
"बिलकुल सही सुना भाई, खबर एकदम पक्की है." 
"तो फिर क्या प्रोग्राम बनाया ?"
"सोच रहा हूँ कि इस दफा उनकी पार्टी में शामिल हो जाऊं."

"अबे तेरा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया ? बेगानों का साथ देकर अपनों से गद्दारी करेगा? 
"वो साले बेगाने ज़रूर हैं, लेकिन दिहाड़ी भी तो डबल देते हैं."

Views: 806

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by KALPANA BHATT ('रौनक़') on September 17, 2017 at 11:26pm

वाह !  एक और गज़ब गज़ब और गज़ब | 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 31, 2013 at 4:24pm

आपको लघुकथा पसंद आई, मेरा श्रम सार्थक हुआ प्रिय वसुंधरा जी. 


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 31, 2013 at 4:21pm

हार्दिक आभार भाई अमन कुमार जी.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on August 31, 2013 at 4:16pm

आदरणीय योगराजभाईसाहब, ये चुपके से कब सिक्सर मार दिया आपने ??? .. वाऽऽऽउ ! .. और सिक्सर भी कभी छुपने वाली एफ़ोर्ट होती है !!

इसे कहते हैं लघुकथा और लघुकथा का अंदाज़ !
कहन ऐसी कि एक भी शब्द इधर-उधर हुआ नहीं कि लघुकथा का संतुलन ही बिगड़ा. न एक शब्द ज्यादा, न एक शब्द कम. संप्रेषणीयता ऐसी कि कोई आँख बन्द कर ले और किसी से पढ़वा ले.. समझ में आ जायेगा कि लघुकथा कहना क्या चाहती है. कथा का सत्त मग़ज़ के मक्खन में गरम छुरी की तरह पार होता आता है.


उम्दा बानग़ी.. हक़ीक़तबयानी यों होती है.

बधाई-बधाई..  
सादर


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 31, 2013 at 4:09pm

आद० डॉ प्राची सिंह जी, क्योंकि लघुकथा में बात बहुत कम शब्दों में कहने होती है अत: अन्य गुणों के साथ साथ इसके शिल्प में कसावट होना बेहद ज़रूरी होता है. कॉलेज के दिनों में हमारे एक प्रोफ़ेसर कहा करते थे कि लघुकथा की बुनावट भी किसी ग़ज़ल से कम नहीं, क्योंकि एक भी शब्द फालतू ले लेने से लघुकथा बे-वज़न हो जाती है. आपने मेरी कोशिश को सराहा और लघुकथा को पसंद किया, मैं दिल से आपका शुक्रिया अदा करता हूँ.      


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 31, 2013 at 4:02pm

आपने रचना के मर्म को बखूबी समझा है भाई जीतेंद्र जीत जी, दिल से शुक्रिया.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 31, 2013 at 4:01pm

रचना पसंद करने के लिए ह्रदय तल से आभारी हूँ प्रिय महिमा श्री जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 31, 2013 at 4:01pm

दिल से आभार आद० विजय मिश्र जी.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 31, 2013 at 4:00pm

भाई शिज्जू शकूर जी, आप रचना पर आये उर अपनी बहुमूल्य राये दी - हार्दिक आभार.


प्रधान संपादक
Comment by योगराज प्रभाकर on August 31, 2013 at 3:59pm

सादर धन्यवाद वंदना जी.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
2 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
6 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
12 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"गजल**किसी दीप का मन अगर हम गुनेंगेअँधेरों    को   हरने  उजाला …"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई भिथिलेश जी, सादर अभिवादन। प्रदत्त विषय पर उत्तम रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service