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क्यों नही लिखती तुमको

कविता 
नही लिखती मैं आजकल तुमको
न  मैं नाराज हूँ न व्यस्त
पर
मैंने तुमसे कुछ  दूरी बनाई  है 
क्योंकि 
तुम जब भी मेरे दिल में उतरती हो 
न जाने कितने 
अनुभव और अनुभूति को 
स्पंदित कर देती हो 
और मैं मजबूर हो जाती हूँ 
तुम्हे पूरी संवेदना के साथ 
अपने  शब्दों में रचने को 
और तुम्हे रचते 
तुमसे एकाकार हो लिख देती हूँ 
अपने सारे सुख-दुःख 
पर 
तुम शांत भी तो नही  रहती 
अपने शब्दों की पायल खनका खनका कर 
तुम मेरे  अर्थ बता  देती हो 
और फिर 
शरू होती है 
उनकी व्याख्या ,समीक्षा और टिपण्णी 
जिनका मेरे सन्दर्भों से 
दूर दूर तक कोई मेल नही होता 
और मैं 
हताश बेबस देखती  हूँ 
और सोचती हूँ 
क्या मैंने तुमको इसीलिए रचा ?

मौलिक और अप्रकाशित 

Views: 678

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Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 16, 2013 at 11:37am
पर 
तुम शांत भी तो नही  रहती 
अपने शब्दों की पायल खनका खनका कर 
तुम मेरे  अर्थ बता  देती हो 
और फिर 
शरू होती है 
उनकी व्याख्या ,समीक्षा और टिपण्णी 
जिनका मेरे सन्दर्भों से 
दूर दूर तक कोई मेल नही होता 
और मैं 
हताश बेबस देखती  हूँ 
और सोचती हूँ 
क्या मैंने तुमको इसीलिए रचा ?

 अति सुन्दर 

सादर बधाई 

Comment by सूबे सिंह सुजान on May 15, 2013 at 10:58pm

लिखिये....और अच्छा लिखिये

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