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मृत्यु प्रिया

नश्वर जग
तुम नित्य सदा से
मैंने ये पाया
------------
तुम निष्पक्ष
आज अराजक है
ये जग जब
------------
दयावान तू
उबे,थके,दुखी के
कर गहती
------------
छिद्र बहुत
जग ने कर डाले
गले लगा ले
-------------
नौका पाई थी
भव से तरने को
इसे नसाया
-------------
ये रिश्ते नाते
हैं लक्ष्य मे बाधक
तू मिलवा दे
------------
तुझे दुलारूं
मृत्यु प्रिया जाने क्यूं
सब डरते
-विन्दु

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Comment

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सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on March 22, 2013 at 10:22am

बढ़िया हायकू प्रयास प्रिय वंदना जी
नश्वर जग
तुम नित्य सदा से
मैंने ये पाया ..............बहुत सुन्दर

हायकू विधा में तीनों पंक्तियों का पूर्णतः स्वतंत्र अस्तित्व होना चाहिए
छिद्र बहुत
जग ने कर डाले
गले लगा ले ........ ये एक  ही पंक्ति के तीन खंड लग रहे हैं , इससे बचना चाहिए

सादर शुभेच्छाएं

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on March 22, 2013 at 10:18am

 आदरणीया वंदना तिवारी जी, आप की हाईकू कविता 'मृत्यु प्रिया' बहुत प्यारी है।  आपको बहुज ढ़ेर सारी शुभ कामनाएं ।

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