For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

"मैं और मेरा रावण"


इक अट्टहास... गूंजा...
पल को चौंक... देखा चारो ओर...
पसरा था सन्नाटा... ... ...
वहम समझ, बंद की फिर आँखें...
मगर फिर हुई पहले से भयानक, और ज्यादा रौद्र गूँज...
उठ बैठ... तलाशा हर कोना डर से भरी आँखों ने...
सिवाए मेरे और सन्नाटे के, ना था किसी का वजूद मगर...
तभी सन्नाटे को चीरती इक आवाज नें छेड़ा मेरा नाम...
कौन... ... ...???
बदहवास-सी... इक दबी चीख निकली मेरी भी...
तभी देखा... अपना साया... जुदा हो मुझसे...
आ खड़ा हुआ, मेरे सामनें... और बोला...
मैं हूँ... ... ... "तुम्हारा" रावण... ... ...!!

मेरा रावण... ... ...???
हाँ, तुम्हारे अन्दर बसा रावण...
तुम्हारे किये छोटे-छोटे कर्मों से जन्मा रावण...
जो बन रहा है शक्तिशाली... हर रोज़...
जो हर पल रहता है साथ तुम्हारे... साया बनकर...
तुम्हारा हर कर्म बना रहा है... इस साये को...
और गहरा... और गाढ़ा... और घना...
पुतले जलाकर मेरा अंत नहीं होता...
मैं तो आज भी जी रहा हूँ... तुम में...
और हर इंसान में...
गुज़रते दिनों के साथ बढ़ रही है मेरी उम्र...

मैं... भौचक... सुनती रही सब...
और बहते रहे मेरे पछतावे रुपी आंसू...
ना सिर्फ मेरी आँखों से... बल्कि आत्मा से भी...
पर तभी एक अनजान-सी शक्ति नें...
झिंझोड़ा मुझे... कहा...
उठ... कर दे फिर... इस बुराई का अंत...
ख़त्म कर दे इसे... जड़ से...
और मैंने... लपका...
अपने ही रावण बनते साये को...
कुछ अच्छे कर्मों और हिम्मत रुपी खंज़र से...
किया उसकी नाभि पे वार...
कर दिया धराशाई...
फिर एक और विशाल बुराई रुपी रावण को...
सच रुपी राम नें...
और सही मायनों में... हुआ फिर अंत...
इस कलयुग में...
मेरे रावण का... ... ...!!

::::::::जूली मुलानी::::::::
::::::::Julie Mulani::::::

Views: 697

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Julie on October 20, 2010 at 7:44pm
बागी जी विजयदशमी की बधाई देर से देने के लिए माफ़ी चाहती हूँ... बहुत बहुत शुक्रिया मेरे खड़े किये रावण को समझने का... बधाई के लिए शुक्रगुजार हूँ...!! :-)
Comment by Julie on October 20, 2010 at 7:43pm
अरुण जी बहुत बहुत शुक्रिया आपकी बधाई का... और मेरी साधारण सी रचना को उत्कृष्ट कहने का...!! :-)
Comment by Dr.Brijesh Kumar Tripathi on October 18, 2010 at 9:19pm
great expression in tight script...giving a sharp massage
Comment by Neelam Upadhyaya on October 18, 2010 at 10:06am
Bahut hi utkrisht rachana hai. Badhayee.
Comment by sanjiv verma 'salil' on October 18, 2010 at 9:58am
uttam rachna.

मुख्य प्रबंधक
Comment by Er. Ganesh Jee "Bagi" on October 17, 2010 at 8:08pm
और सही मायनों में... हुआ फिर अंत...
इस कलयुग में...
मेरे रावण का... ...

बहुत ही खुबसूरत कृति, बधाई जुली , सही मायने मे आपने रावण को हम सबके सामने खड़ा कर दिया और वो भी इस चुनौती के साथ कि है दम तो जलावो इसे ! बेहतरीन अभिव्यक्ति पर बधाई साथ मे विजय दशमी कि शुभ कामना भी | जय हो !
Comment by Abhinav Arun on October 17, 2010 at 9:08am
अति सुंदर जूली जी ,सच कहा आपने अपने अंतस के रावण को पहचानने और उसका शमन करने की आवश्यकता है.उत्कृष्ट रचना के लिए बधाई.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"दीपोत्सव क्या निश्चित है हार सदा निर्बोध तमस की? दीप जलाकर जीत ज्ञान की हो जाएगी? क्या इतने भर से…"
1 hour ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"धन्यवाद आदरणीय "
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"ओबीओ लाइव महा उत्सव अंक 179 में स्वागत है।"
4 hours ago
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"स्वागतम"
4 hours ago
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 172

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  ’चित्र से काव्य तक’ छन्दोत्सव का यह एक सौ…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
21 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
Wednesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service