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कागज की किस्ती और वर्षा का पानी,

वह बचपन की यादें हैं बहुत याद आती 

आज रूठी गई दादी और वर्षा की रानी 

न कहती है कहानी न बरसता है पानी॥

बच्चों को पता नहीं कैसे बहती है नाली 

छतों से गटर में बहता, बरसा का पानी 

गटर जब चोक हो ,सड़क पर बहे पानी  

सड़के और गलियाँ नदियाँ बनके बहती ॥ 

वह कागज की किस्ती तभी याद आती 

दादी की कहानी, रिमझिम बरसता पानी 

बहुत याद आती वह बचपन की कहानी 

माँ बाप को फुरसत कहाँ कहे जो कहानी 

सुबह से शाम तक सभी की एक कहानी ॥

बच्चों को कौन बताए अनोखी कहानी  

मोबाइल में अटक गई जग की कहानी 

अब राजा रानी की हो गई पुरानी कहानी  

कहाँ कागज की किस्ती और वर्षा का पानी॥ 

  

मौलिक एवं अप्रकाशित 

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Comment

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Comment by Ram Ashery on August 26, 2019 at 9:44pm

आपको मेरी हौसला अफजाई के लिए तहेदिल से आभार । 

Comment by Samar kabeer on August 25, 2019 at 12:03pm

जनाब आश्रय जी आदाब,सुंदर प्रस्तुति हेतु बधाई स्वीकार करें ।

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