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बड़ी खूबसूरत हवालात होगी (फिल बदीह ग़ज़ल(राज)

122 122 122 122

 

 तुम्हारी समझ से वो सौगात होगी

,मगर मेरी नजरों में खैरात होगी

 

मुझे चाहिए मेहनतों के  निवाले,

जिये रहमतों पर तेरी जात होगी.

 

न जाने कहाँ अब मुलाकात होगी

,जहाँ आमने सामने बात होगी

 

घटाएँ हिमालय के रुखसार चूमे,

कहीं झूम कर आज बरसात होगी

 

मुहब्बत हमारी जहाँ कैद हो वो 

,बड़ी खूबसूरत हवालात होगी

 

हुए कहकशाँ में नए दीप रोशन

,चली आज चंदा की बारात होगी

 

बढ़ो तुम जरा से बढ़ें हम जरा से,

 मिलन की कहीं से शरुआत होगी

 

मुहब्बत की शतरंज में दिल मन बराबर

, बड़ी दिलकशीं आज शय मात होगी

----------------राजेश कुमारी 'राज '

(

 

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सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 13, 2015 at 10:41am

श्री सुनील जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई हार्दिक आभार आपका. 

Comment by shree suneel on July 12, 2015 at 10:23pm
ख़ूबसूरत अशआर से सजी इस ख़ूबसूरत ग़ज़ल के लिए आपको हार्दिक बधाइयाँ आदरणीया.
घटाएँ हिमालय के रुखसार चूमे,
कहीं झूम कर आज बरसात होगी.. बहुत ख़ूब!

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2015 at 8:56pm

आ० डॉ० गोपाल भाई जी ,ग़ज़ल पर उपस्थिति और उत्साह वर्धक प्रतिक्रिया  हेतु आपका तहे दिल से आभार.  

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on July 10, 2015 at 8:40pm

बढ़ो तुम जरा से बढ़ें हम जरा से,

 मिलन की कहीं से शरुआत होगी         बहुत सुन्दर आदरणीया दीदी .

 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2015 at 8:33pm

आ० जवाहर लाल सिंह जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई उत्साह वर्धन करती प्रतिक्रिया के लिए दिल से आभार 


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 10, 2015 at 8:32pm

आ० मुकेश श्रीवास्तव जी ,आपको ग़ज़ल पसंद आई मेरा लिखना सफल हुआ दिल से आभार आपका सादर 

Comment by JAWAHAR LAL SINGH on July 10, 2015 at 8:15pm

मुझे चाहिए मेहनतों के  निवाले,

जिये रहमतों पर तेरी जात होगी.

मुहब्बत हमारी जहाँ कैद हो वो 

,बड़ी खूबसूरत हवालात होगी

वैसे हर पंक्तियाँ खूबसूरत हैं पर उपर्युक्त ख़ास लगी  मुझे आदरणीया राजेश कुमारी जी!

Comment by MUKESH SRIVASTAVA on July 10, 2015 at 11:43am

बधाई  मित्र - सुन्दर रचना के लिए -


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 9, 2015 at 7:28pm

राहुल दांगी जी ,आपका तहे दिल से आभार |


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on July 9, 2015 at 7:27pm

आ० धर्मेन्द्र जी , ग़ज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया से उत्साहित हूँ दिल से बहुत बहुत आभार आपका |

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