For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

शिल्प = भगण X 7 + रगण
ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ।। ऽ।।  ऽ।ऽ
 

ऊपर सींकि टँगाय धरी हति,झूलत ती लटकी नित जीत की !!
मॊहन खाइ गयॊ सगरॊ दधि, फॊरि गयॊ मटकी नवनीत की !!
भीतर आइ लखी गति मॊ पर,गाज गिरी टटकी अनरीत की !!
‘राज’ कहैं नहिं दॆंउ उलाहन,भीति हियॆ अटकी कछु प्रीत की !!

"राज बुन्दॆली"
मौलिक एवं अप्रकाशित,,,,,,,

Views: 650

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 6, 2015 at 8:39am

आदरणीय बुन्देली जी

आपके स्पष्टीकरण से बहुत सी बातों का खुलासा हुआ  i मैं आपके प्रयास की सराहना करता हूँ .एक निवेदन है की जब आप हिन्दी  छंद में रचना कर रहे है तो लोक भाषाकी छूट  वही तक ले  जितना  हिंदीभाषियों को समझ में आये वरना आप अपनी रचना केवल स्वयं ही समझ पाएंगे .दूसरी बात अनरीति और प्रीतिके प्रयोग से  छंद की  मात्राओं पर कोई फर्क नहीं पड़ता तो फिर शुद्ध रूप ही क्यों न लिखें . तद्भव का प्रयोग तो तब करते हैं जब तत्सम से काम नहीं बनता  और आप अपने को छोटा मत समझे जैसा आप लिखते है  वह अन्य  लोगो के लिए दुर्लभ है i मैं  आपका सर्वश्रेष्ठ बाहर आये इसलिये  आपको कुरेदता हूँ . सादर .

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 6, 2015 at 12:18am

आदरणीय,,,,,मिथिलेश वामनकर जी

सादर आभार,,,,मेरी टूटी फूटी कोशिश को आपका स्नेह मिला

Comment by कवि - राज बुन्दॆली on April 6, 2015 at 12:16am

आदरणीय,,,,,,डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव जी

सादर नमन,,,,,,आपकॆ द्वारा बतायॆ गयॆ सुझावॊं को सिरॊधार्य करतॆ हुये मैनॆ मूल रचना में परिमार्जन कर लिया है,,,,

1- प्रथम पंक्ति में  ' ती का प्रयोग थी कॆ अर्थ मॆं किया गया जो बुन्देली लोकभाषा का शब्द है क्योंकि छन्द में लोक भाषाऒं कॆ शब्दॊं का अधिकाधिक प्रयॊग प्रयॊग किया गया है,,,

२-( मोहन खाइ  की जगह पर  मोहन खाय उचित होगा ).इस पंक्ति में आप्के बताये अनुसार मैंने मूल रचना में बदलाव कर लिया है , साथ ही बहुत जगह (खाय शब्द की जगह खाइ शब्द) का प्रयॊग लोक भाषी साहित्य में देखने को मिला है,,,

३- भीतर आय लखी गति के बाद   कामा (,)अनिवार्य है, वह टंकन त्रुटि मॆं भूल कॆ कारण हुआ है क्षमा चाहता हूँ

4-गाज गिरी  टटकी अनरीत की -----(टटकी अर्थात ताज़ा-ताज़ा)नुकसान होने के संदर्भ मॆं प्रयोग किया गया है,,,,

5-

4- टटकी अनरीत की -----  का आशय  प्रांजल नहीं है

5- अनरीत और प्रीत दोनों गलत है अनरीति और प्रीति  होना चाहिए . 

अनरीति और प्रीति  होना चाहिए बिल्कुल सहमत हूं,,,,लेकिन लोक साहित्य में कई जगह  ऎसॆ तद्भव शब्दॊं का प्रयॊग मिलता है जो प्रचलन में पूर्णत: आ चुके हैं और उनका उच्चारण भी इसी रूप में हो रहा है !

आदरणीय मैं कोई बड़ा रचनाकार नहीं हूं,,,बस एक सबसे छॊटा विद्यार्थी हूं,,,सभी के बीच में कुछ सीख रहा हूं,,,पेशे से चिकित्सक होने के नाते बहुत कम समय होता है मेरे पास फ़िर भी जो समय मिलता है कुछ टूटा फूटा करने की कोशिश करते रहता हूं,,,,

सादर नमन आपको,,,,,,,,

Comment by डॉ गोपाल नारायन श्रीवास्तव on April 5, 2015 at 8:46pm

आओ बुन्देली जी

1- प्रथम पंक्ति में  ' ती का प्रयोग क्यों  और 'ती' का अर्थ क्या है ?

२- मोहन खाइ  की जगह पर  मोहन खाय उचित होगा .

३- भीतर आय लखी गति के बाद   कामा (,)अनिवार्य वर्ना अर्थ नहीं बनता

4- टटकी अनरीत की -----  का आशय  प्रांजल नहीं है

5- अनरीत और प्रीत दोनों गलत है अनरीति और प्रीति  होना चाहिए .  

                             सादर .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on April 5, 2015 at 6:04pm

सुन्दर छंद 

बधाई 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी की समझाइश…"
26 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जनाब आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें। हिज्र था हिज्र की सदा भी…"
30 minutes ago
Aazi Tamaam replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी आदरणीय अब देखियेगा हिज्र था हिज्र की सदा भी थी बे-क़रारी में इक ख़ला भी थी सादर 🙏"
39 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय सुरिंदर 'इन्सान' जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें। गुणीजनों…"
50 minutes ago
Chetan Prakash replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"जी आदरणीय, आपकी बात सही है !"
3 hours ago
सालिक गणवीर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"२१२२-१२१२-२२/११२ज़ीस्त ख़ामोशी थी सदा भी थीदर्द भी थी वही दवा भी थी (१) और कितना मैं झेलता उसकोबेहया…"
4 hours ago
Euphonic Amit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय Dayaram Methani जी आदाब ग़ज़ल अभी समय चाहती है। मिसरों में परिपक्वता और रब्त की आवश्यकता…"
7 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"बहुत ख़ूब आदरणीय निलेश शेवगाँवकर जी आदाब, उम्दा ग़ज़ल हुई है, पूरी ग़ज़ल रवानी में है, शे'र दर…"
8 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय अजय गुप्ता अजेय जी आदाब अच्छी ग़ज़ल हुई है मुबारकबाद पेश करता हूँ। //इक सिलाई मशीन उस के…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय आज़ी तमाम साहिब आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और ज़र्रा नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, गुणीजनों की इस्लाह क़ाबिल…"
9 hours ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-171
"आदरणीय संजय शुक्ला जी आदाब, ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय अमित जी और निलेश…"
9 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service