For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

लेख :- जाना बालेश्वर का

लेख :-जाना बालेश्वर का

प्रख्यात लोक गायक बालेश्वर यादव का दिनांक ०९ जनवरी २०११ को लखनऊ में निधन हो गया | धन्य हो कुछ खबरिया चैनेलों का और अखबारों का जो उनके प्रशंसक इस समाचार  वाकिफ हो सके | अन्यथा आज भोजपुरी संस्कृति जिस बाजारवाद की शिकार है उसमें इन पारंपरिक लोकगायकों को लोग भूल गये हैं | बालेश्वर १९४२ में मऊ जनपद में जन्में मुझे याद है मेरा गांव में गुज़रा बचपन जहां उनका 'निक लागे टिकुलिया गोरखपुर के '...'सीमा के जवनवा जागा'....'जब कटहर के कोआ ..' ...आदि गीत बजते तो रग रग में रवानगी छा जाती थी | 'रे रे रे रे रे रे ...' (टेर और अलाप ) का उनका अपना अलग अंदाज़ था |इस महान लोक गायक को विनम्र श्रद्धांजलि |

आज भी ऐसा लगता है कि हीरा लाल यादव , बुल्लू यादव , राम् देव ,भरत शर्मा व्यास ,शारदा सिन्हा , राम कैलास , मन्ना लाल , और जवाहर लाल सरीखे अनेक लोग गायकों को वह प्रतिष्ठा नहीं मिली जो मिलनी चाहिए थी | भक्ति ,श्रृंगार और सामाजिक तथा वीर रस के इनके गाये गीतों में वो तासीर है की सुनने वाले के रोंगटे खड़े हो जाये | इन लोक गायकों ने गांव - गांव ,विविध तीज त्यौहार और अन्य व्यक्तिगत सामाजिक आयोजनों में अपनी लोक लुभावन प्रस्तुतियों से एक प्रकार से लोक गायन की परंपरा को जीवित रखा है | वर्ना आज रेडियो - टी.वी. , रीमिक्स और अश्लीलता के युग में खालिस लोक कलाएं दम तोड़ रही हैं | आज एक गीत 'निरहुआ सटल रहे ' गाकर दिनेश लाल यादव स्टार हो गये और देवी गीत गाकर अपना करियर शुरू करने वाले मनोज तिवारी तो राष्ट्रीय स्तर पर मनोरंजक चैनलों में भोजपुरी दुनिया के कथित प्रतिनिधि बन मुंबई में बस ही गये | सभी फिल्म अभिनेता हो गये लोक गायन पीछे छूट गया | महुआ जैसे चैनेल बड़ी आस से खुले थे परन्तु वे भी डांस संग्राम जैसे शो में उलझकर रह गये |  साथ ही भोजपुरी के ज़रिये समाज को जोड़ने के स्थान पर सुर संग्राम के नाम पर यू.पी. बिहार में संग्राम करा रहे हैं | सी.डी.-कसेट कंपनियां भी वही परोस रही हैं जो बिकता है |

इस बाज़ार ने जहां मूल्यों को तिलांजलि देने वाले नए कलाकारों को करोड़पति बना दिया वही पुराने आदर्शवान देशभक्त लोकगायकों को और पीछे धकेल दिया | बिरहा , कजली .आल्हा,लोरिकायन के आयोजन अब नहीं होते बार बालाएं नृत्य करती हैं और लोक के नाम पर भोंडे गीत बजते हैं | यह स्थिति दुखद है और इसके लिये हम सब दोषी हैं |

Views: 1565

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Abhinav Arun on January 21, 2011 at 12:42pm
आशीष जी आपके शब्द मुझे भी बल देते हैं , शुक्रिया !
Comment by आशीष यादव on January 20, 2011 at 11:54am
मुझे कभी बालेश्वर जी को देखने का शुभ अवसर तो प्राप्त नहीं हुवा लेकिन उनके बारे में बहुत कुछ सुनने को मिलता है| मै एक खाटी देहात का रहने वाला हूँ| हमारे यहाँ बिरहा जैसे कार्यक्रम लगभग हमेशा ही होते रहे है लकिन अब यह भी सही है की इन कुच्छ दिनों में इनमें कुछ कमी आई है| जब बिजय लाल यादव जैसे बिरहा गायक भी अब इस कला से मुह मोड़ते नजर आ रहे है| जब भी बिरहा आदि का नाम आता है तो बलेसर नाम जरुर सुनने को मिलता है|
Comment by Abhinav Arun on January 12, 2011 at 4:21pm
आदरणीय शेष जी और भाई नवीन जी आपकी प्रतिक्रियाओं ने मेरी सोच को बल दिया है और लिखते पढ़ने की उर्जा भी ...आभारी हूँ.|

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आयोजन की सफलता हेतु सभी को बधाई।"
33 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार। वैसे यह टिप्पणी गलत जगह हो गई है। सादर"
34 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
35 minutes ago
धर्मेन्द्र कुमार सिंह posted a blog post

देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिले (ग़ज़ल)

बह्र : 2122 2122 2122 212 देश की बदक़िस्मती थी चार व्यापारी मिलेझूठ, नफ़रत, छल-कपट से जैसे गद्दारी…See More
1 hour ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद सुख़न नवाज़ी और हौसला अफ़ज़ाई का तह-ए-दिल से…"
2 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आपने अन्यथा आरोपित संवादों का सार्थक संज्ञान लिया, आदरणीय तिलकराज भाईजी, यह उचित है.   मैं ही…"
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी बहुत शुक्रिया आपका बहुत बेहतर इस्लाह"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय अमीरुद्दीन अमीर बागपतवी जी, आपने बहुत शानदार ग़ज़ल कही है। शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल…"
4 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आदरणीय जयहिंद जी, अपनी समझ अनुसार मिसरे कुछ यूं किए जा सकते हैं। दिल्लगी के मात्राभार पर शंका है।…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. रिचा जी, अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक धन्यवाद।"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-183
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
4 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service