For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खुद ही सारी रात जलता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

शोहरतें पाने मचलता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

हसरतों पे जीता मरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

यूँ किसी की याद में जलने का मौसम गम भरा

फिर उसी को याद करता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

                                                         

चोट खाता है मुसलसल जिन्दगी की राह में

तब सनम जैसे सँवरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

आईने से रू-ब-रू होने की हिम्मत है नहीं

हार के फिर आह भरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

इल्म है उसको गली ये जा रही है किस तरफ

जान कर उससे गुजरता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

वो हकीकत जानता है कुछ न लाया साथ में

फिर भी देखो हाथ मलता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

दर्द से नज़रें चुराने “दीप” वो सारे बुझा

खुद ही सारी रात जलता नादाँ दिल क्यूँ सोचिये

 

संदीप कुमार पटेल “दीप”

मौलिक एवं अप्रकाशित

 

 

 

 

Views: 665

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:45am

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीया डॉ प्राची जी

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:44am

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय मित्रवर अरुण भाई

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:44am

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय राम भाई

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:43am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीया प्रवीन मलिक जी सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:43am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय अनुराग  जी सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:42am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय जीत जी सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:40am

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय नीरज नीर जी

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:40am

बहुत बहुत आभार आपका आदरणीय विजय निकोर सर

स्नेह यूँ ही बनाये रखिये

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:37am

बहुत बहुत आभार आदरणीय गिरिराज भंडारी  जी सादर

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on September 30, 2013 at 11:37am

बहुत बहुत शुक्रिया आदरणीय सारथी जी सादर....स्नेह बनाये रखिये

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आपने कविता में संदर्भ तो महत्वपूर्ण उठाए हैं, उस दृष्टि से कविता प्रशंसनीय अवश्य है लेकिन कविता ऐसी…"
42 minutes ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" पर्यावरण की इस प्रकट विभीषिका के रूप और मनुष्यों की स्वार्थ परक नजरंदाजी पर बहुत महीन अशआर…"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"दोहा सप्तक में लिखा, त्रस्त प्रकृति का हाल वाह- वाह 'कल्याण' जी, अद्भुत किया…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीया प्राची दीदी जी, रचना के मर्म तक पहुंचकर उसे अनुमोदित करने के लिए आपका हार्दिक आभार। बहुत…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी इस प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी बहुत बहुत धन्यवाद आपका मेरे प्रयास को मान देने के लिए। सादर"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"वाह एक से बढ़कर एक बोनस शेर। वाह।"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"छंद प्रवाह के लिए बहुत बढ़िया सुझाव।"
3 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"मानव के अत्यधिक उपभोगवादी रवैये के चलते संसाधनों के बेहिसाब दोहन ने जलवायु असंतुलन की भीषण स्थिति…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" जलवायु असंतुलन के दोषी हम सभी हैं... बढ़ते सीओटू लेवल, ओजोन परत में छेद, जंगलों का कटान,…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी है व्योम में, कहते कवि 'कल्याण' चहुँ दिशि बस अंगार हैं, किस विधि पाएं त्राण,किस…"
4 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"भाई लक्षमण जी एक अरसे बाद आपकी रचना पर आना हुआ और मन मुग्ध हो गया पर्यावरण के क्षरण पर…"
5 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service