For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

घर लौटकर पूत विदेश से

माँ से बोला बड़े प्यार से, 

आया मै तुमको लेने माँ

यहाँ अकेली अब न रहना |

इस घर को अब बेच चलेंगे

खाली घर में भूत बसे माँ,

संग में मेरे अब तू रहना

उम्र नहीं यह तन्हा रहना |

उमडा उसपर माँ का प्यार,

बेच दिया सारा घरबार,

पोर्ट पर जाकर माँ से बोला-

माँ तू यहाँ पर बैठे रहना |

माँ बोली क्या बात है बेटा

पूत कहे कुछ बात नहीं है,

सामान की है जांच कराना,

माँ बोली जा, जल्दी आना |

रात बिताई बैठे बैठे,

हुई भौर चिंता में डूबी,

सफाई कर्मी से माँ यूँ बोली,

मै इंतज़ार कर रही बेटे का |

कितनी जांच अभी बाकी है-

उसके साथ विदेश में जाना,

सफाई कर्मी धीरे से बोला-

पूत तुम्हारा चलागया है,

तुमको यही वह छोड़ गया है|

आहे भर कर माँ यूँ बोली-

मेरे बेटे तुम खुश रहना.

माँ को आता सब कुछ सहना,

मेरा दुःख मुझको ही सहना|

सफाईकर्मी से वह बोली -

यह बात किसी से ना कहना,

और भी बेटे यहाँ बहुत है

उनको होगी मुश्किल सहना,

माँ को आता सब कुछ सहना|

-लक्ष्मण प्रसाद लडीवाला 

Views: 631

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 17, 2013 at 12:10am

धैर्यता, सहनशीलता, दया और ममता भाव ही तो भारतीय नारी की पहचान है भाई श्री सतवीर वर्मा जी 

रचना पसंद करने के आपका हार्दिक आभार 

Comment by सतवीर वर्मा 'बिरकाळी' on May 16, 2013 at 8:31pm
बहुत ही मार्मिक रचना लिखी आपने आ॰ लक्ष्मण प्रसाद जी। माँ की इसी सहनशीलता के कारण ही तो कपूतोँ को अपने अकर्म करने का अवसर मिलता है।
हार्दिक बधाई स्वीकारें।
Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2013 at 7:40pm

उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार श्री विजय निकोरे जी 

Comment by vijay nikore on May 16, 2013 at 6:50pm

आदरणीय लक्ष्मण जी,

 

इस मार्मिक रचना के लिए बधाई।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2013 at 4:32pm

भाई श्री संदीप जी, इस घटना को अखबार में पढ़कर मेरे भी दिल के तार झनझना उठे थे, और इसे सबके सामने प्रस्तुत 

करने की इच्छा हुई | हार्दिक आभार स्वीकारे श्री संदीप पटेल भाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2013 at 4:00pm

रचना पसंद करने के लिए हार्दिक आभार आपका भाई श्री प्रदीप कुमार सिंह कुशवाहा जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2013 at 3:59pm

आपको रचना केभाव मार्मिक लगे एवं दिल को छू गयी, मेरा प्रयास सार्थक हो गया, बहुत बहुत आभार आपका 

श्री केवल प्रसाद जी 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 16, 2013 at 3:57pm

हार्दिक आभार अपका श्री श्याम नारायण वर्मा जी 

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on May 16, 2013 at 2:56pm

आदरणीय सर जी संवेदना से भारी इस रचना ने दिल के तार छेड़ दिए
सादर बधाई हो

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 16, 2013 at 12:24pm

आहे भर कर माँ यूँ बोली-

मेरे बेटे तुम खुश रहना.

माँ को आता सब कुछ सहना,

मेरा दुःख मुझको ही सहना|

सफाईकर्मी से वह बोली -

यह बात किसी से ना कहना,

माँ का दिल .वाह 

आदरणीय लड़ीवाला जी

मार्मिक

सादर बधाई  

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Chetan Prakash replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
" ,आ, नीलेशजी कुल मिलाकर बहुत बहुत अच्छी ग़ज़ल हुई,  जनाब!"
6 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई नीलेश जी, सादर अभिवादन।  गजल पर उपस्थिति और स्नेह के लिए आभार। भाई तिलकराज जी द्वार…"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आ. भाई तिलकराज जी, सादर अभिवादन। गजल पर उपस्थिति और विस्तृत टिप्पणी से मार्गदर्शन के लिए आभार।…"
1 hour ago
Tilak Raj Kapoor replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"तितलियों पर अपने खूब पकड़ा है। इस पर मेरा ध्यान नहीं गया। "
2 hours ago
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी नमस्कार बहुत- बहुत शुक्रिया आपका आपने वक़्त निकाला विशेष बधाई के लिए भी…"
2 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय लक्ष्मण धामी मुसाफिर जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकारें. सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय शिज्जू भाई, बहुत बढ़िया ग़ज़ल कही है आपने. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बहुत बढ़िया ग़ज़ल हुई है. हार्दिक बधाई स्वीकार करें. सादर "
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय दयाराम मेठानी जी, बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है. इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय नीलेश भाई, क्या ही खूब ग़ज़ल कही है. वाह. शेर दर शेर दाद ओ मुबारकबाद कुबूल फरमाएं. बाकी अभ्यास…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion र"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-185
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें. गुनीजनों की सलाह पर अवश्य…"
3 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service