For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

खिला धूप चेहरा मदमाती वो आंखें।
सुर्ख से अधर, पर शर्माती वो आंखें॥

.
देखूं जो नजर भर चुराती वो आंखें।
हटे जो नजर तो बल खाती वो आंखें॥

.
लगे दर्द दिल में छुपाती वो आंखें।
छुपे राजे दिल को बताती वो आंखे॥

.
क्यों ही न जाने दिल जलाती वो आंखें।
बहा अश्क फिर से बुझाती वो आंखें॥

.
सब्र के अब्र को छेद जाती वो आंखें।
अब्र से आब ले बरसाती वो आंखें॥

.
सुनो दोस्त मेरे मदमाती वो आंखें।
जिन्दगी की गजल गुनगुनाती वो आंखें॥

Views: 483

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 18, 2012 at 10:06pm
आभार आदरणीय जवाहर लाल जी।शब्दों पर अधिकार नहीं आप सब गुरूजनों का आशीर्वाद है।
Comment by JAWAHAR LAL SINGH on March 18, 2012 at 9:17pm

सुनो दोस्त मेरे मदमाती वो आंखें।
जिन्दगी की गजल गुनगुनाती वो आंखें॥

बहुत  ही  सुन्दर संकलन है आपका शब्दों पर क्या नियंत्रण है!

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 17, 2012 at 9:09pm
डॉ.प्राची जी! आपने मेरी रचना में एक और पंक्ति जोड़ कर रचना को गौरवान्वित किया है।आभार आदरणीया!
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 17, 2012 at 9:06pm
आभार आदरणीय आशीष जी!
Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 17, 2012 at 9:05pm
आभार आदरणीय कुशवाहा जी!
Comment by आशीष यादव on March 17, 2012 at 10:18am

लगे दर्द दिल में छुपाती वो आंखें।
छुपे राजे दिल को बताती वो आंखे॥

.
क्यों ही न जाने दिल जलाती वो आंखें।
बहा अश्क फिर से बुझाती वो आंखें॥

bahut khub. sundar rachna. badhai.

Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on March 17, 2012 at 10:11am

सुनो दोस्त मेरे मदमाती वो आंखें।
जिन्दगी की गजल गुनगुनाती वो आंखें॥

jindagi ek gajal hi to hai. badhai. 

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on March 16, 2012 at 10:32pm
आभार अश्विनी सर!
Comment by अश्विनी कुमार on March 16, 2012 at 10:19pm

विंदेश्वरी जी ,,तवस्सुर को तवस्सुफ की हद तक पहुंचा दिया आपने ..........अति सुंदर कृति ॥आभार ..........जय भारत

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' left a comment for मिथिलेश वामनकर
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। जन्मदिन की शुभकामनाओं के लिए हार्दिक आभार।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन।गजल पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
9 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, करवा चौथ के अवसर पर क्या ही खूब ग़ज़ल कही है। इस बेहतरीन प्रस्तुति पर…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted a blog post

साथ करवाचौथ का त्यौहार करके-लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"

२१२२/२१२२/२१२२ **** खुश हुआ अंबर धरा से प्यार करके साथ करवाचौथ का त्यौहार करके।१। * चूड़ियाँ…See More
19 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post गहरी दरारें (लघु कविता)
"आदरणीय सुरेश कुमार कल्याण जी, प्रस्तुत कविता बहुत ही मार्मिक और भावपूर्ण हुई है। एक वृद्ध की…"
20 hours ago
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर left a comment for लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार की ओर से आपको जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएं।"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on मिथिलेश वामनकर's blog post ग़ज़ल: मिथिलेश वामनकर
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक धन्यवाद। बहुत-बहुत आभार। सादर"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल - ( औपचारिकता न खा जाये सरलता ) गिरिराज भंडारी
"आदरणीय गिरिराज भंडारी सर वाह वाह क्या ही खूब गजल कही है इस बेहतरीन ग़ज़ल पर शेर दर शेर  दाद और…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
" आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी सृजन आपकी मनोहारी प्रतिक्रिया से समृद्ध हुआ । हार्दिक आभार आदरणीय जी…"
Tuesday

सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post बाल बच्चो को आँगन मिले सोचकर -लक्ष्मण धामी "मुसाफिर"
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी प्रस्तुति में केवल तथ्य ही नहीं हैं, बल्कि कहन को लेकर प्रयोग भी हुए…"
Tuesday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .इसरार
"आदरणीय सुशील सरना जी, आपने क्या ही खूब दोहे लिखे हैं। आपने दोहों में प्रेम, भावनाओं और मानवीय…"
Monday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service